BJP in Madhya Pradesh: पीएम नरेंद्र मोदी की साख और मध्यप्रदेश के मामा शिवराज सिंह चौहान ने वो कर दिखाया, जिसकी किसी को कल्पना भी नहीं थी। करीब 18 साल के शासन के बाद बीजेपी बहुत बड़े बहुमत के साथ वहां सरकार बनाने जा रही है। इतना बड़ा बहुमत वो भी तब तक कई राजनीतिक पंडित शिवराज सिंह चौहान की सरकार के खिलाफ एंटी-इनकंबेसी बता रहे थे। चुनाव को कांग्रेस की गारंटियों के कारण उसकी ओर मुड़ता बता रहे थे। लेकिन नतीजों की हनक ने साफ कर दिया है कि जनता के जेहन में सबसे मजबूत गारंटी पीएम मोदी की ही है।
मध्यप्रदेश का चुनाव बीजेपी ने एक टीम की तरह लड़ा। मुकाबला कांग्रेस से था। छह महीने पहले से कहा जाने लगा था कि कांग्रेस इस बार अपर हैंड में है, लोगों में शिवराज सिंह चौहान की सरकार को लेकर नाराजगी है और भी ना जाने क्या बाते कही जाने लगी थी। इतने दबाव में किसी भी राजनीतिक दल के लिए मजबूत चुनाव प्रचार करना आसान नहीं होता। लेकिन बीजेपी को ऐसे ही चुनाव मशीनरी नहीं कहा जाता। विपक्षी को बेहद मजबूत दिखाने के बावजूद बीजेपी ने हिम्मत नहीं हारी। अपना चुनाव प्रचार शुरू किया और ऐसा किया कि जैसे उसे इस तरह की नकारात्मक बातों का कोई फर्क ही नहीं पड़ता।
सूबे में टिकटों के ऐलान के दौरान ही बीजेपी ने अपने कदम से सभी को चौंकाया। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल समेत तीन केंद्रीय मंत्रियों और सात सांसदों को विधायकी के चुनावी अखाड़े में उतार दिया। विरोधियों ने इस पर भी ये दलील दी कि बीजेपी ने हार के डर से ये कदम उठाया है। लेकिन बीजेपी को इन सब चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ा। बीजेपी के केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने भी पार्टी के आदेश को सर-माथे पर लेकर राज्य की ओर कूच कर दिया और आज उसका परिणाम सबके सामने हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने राजनीतिक जीवन का बेहद मुश्किल चुनाव लड़ रहे थे। पार्टी की ओर से उन्हें आधिकारिक रूप से मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया गया। लेकिन इससे उनकी पेशानी पर कोई बल नहीं आया। बल्कि और जीवटता के साथ वो चुनावी अखाड़े में जुट गए। चुनावी प्रचार के दौरान उन्होंने 160 से ज्यादा चुनावी सभाओं को संबोधित किया। जो किसी भी अन्य नेता के मुकाबले बहुत ज्यादा थी। जहां कांग्रेसी कैंप और उनके मुखिया कमलनाथ खुद को जीता हुआ मानकर प्रचार कर रहे थे। वहीं, शिवराज सिंह चौहान पूरी ताकत लगाकर बिना थके, बिना रुके जुटे रहे। सूबे में मामा के नाम से मशहूर शिवराज सिंह चौहान अपनी रैलियों में लाड़ली बहना जैसी योजनाओं और राज्य के लोगों के साथ खुद का परिवार का रिश्ता साबित करने से नहीं चूकते थे। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उनका पूरा साथ दिया। सात दिनों के दौरान पीएम ने 15 जिलों का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने 14 रैली और एक रोड़ शो किया। वहीं, पूरे चुनावों के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कमान संभाले रखी और छह दिन में अपनी पार्टी के लिए 17 रैली और दो रोड़ शो किए।
इस चुनाव ने ये एक बार फिर ये साबित कर दिया है कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। चुनाव सिर्फ माहौल बनाकर नहीं जीता जा सकता। बीजेपी ने जहां बिना शिवराज सिंह चौहान को सीएम का चेहरा बनाए, एक टीम के तौर पर चुनाव लड़ा। वहीं, कांग्रेस का चुनाव सिर्फ और सिर्फ कमलनाथ के इर्द गिर्द घूमता हुआ दिखाई दिया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी प्रचार करने गए जरूर, लेकिन प्रचार की कमान साफ तौर पर कमलनाथ के हाथ में ही दिखाई दे रही थी। गारंटियों की बौछारे कांग्रेस की ओर से भी खूब की गई। लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी का अपनी रैलियों में कहना कि ये मोदी की गारंटी है। शायद यही कांग्रेस और बीजेपी के बीच का बहुत बड़ा फर्क साबित हुआ। क्योंकि मामला साख का भी होता है और मध्यप्रदेश का चुनाव दिखाता है कि जनता के मन में सबसे मजबूत गारंटी तो मोदी की ही है।
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FIRST PUBLISHED : December 3, 2023, 13:29 IST