तो चली जाएगी अवध बिहारी चौधरी की कुर्सी ! जानें क्या है विधानसभा के स्पीकर को हटाने की प्रक्रिया

पटना. बिहार में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद विधानसभा अध्यक्ष के पद पर अवध बिहारी चौधरी क्या बने रहेंगे या हटेंगे, यह बिहार की सियासत का बड़ा सवाल है, क्योंकि 12 फरवरी को होने वाले फ्लोर टेस्ट के पहले विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होना है. माना जा रहा है कि यदि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान होने वाले वोटिंग में यदि महागठबंधन को अधिक मत मिलता है और यदि विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी अपने पद पर बने रहते हैं तो फ्लोर टेस्ट में भी एनडीए को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.

12 फरवरी को विधान मंडल सत्र की शुरुआत हो रही है सबसे पहले राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर 11:30 बजे विधानमंडल के दोनों सदनों को सेंट्रल हॉल में संबोधित करेंगे और उसके बाद विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी पर लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी. नियम के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ यदि अविश्वास प्रस्ताव आता है 14 दिनों के बाद ही उस पर चर्चा होगी. अविश्वास प्रस्ताव सदन में लाए जाने के दौरान यदि 38 विधायक खड़े होकर उसे पर अपनी सहमति देते हैं तभी प्रस्ताव को स्वीकृत माना जाएगा और आगे उसे पर चर्चा शुरू होगी.

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान खुद विधानसभा अध्यक्ष चेयर पर मौजूद नहीं रह सकते हैं. उनकी जगह विधानसभा के उपाध्यक्ष सदन का संचालन करेंगे. अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी और फिर वोटिंग भी करायी जाती है. वोटिंग के दौरान यदि बारी-बारी से सत्ता पक्ष और विधायक को खड़ा होने का निर्देश दिया विधायक बैठे रहते हैं तो यह क्रॉस वोटिंग माना जाएगा या फिर विधायक वेल क्रॉस कर दूसरे पक्ष की ओर चले जाते हैं इसे भी क्रॉस वोटिंग माना जाएगा.

हालांकि व्हिप जारी होने के कारण यदि विधायक क्रॉस वोटिंग करते हैं तो उन पर करवाई तय है और उनकी सदस्यता भी जा सकती है. इस दौरान सारा खेल संख्या बल का होगा. विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बाद सदन में फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया भी की जाएगी.

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