पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज तृणमूल कांग्रेस ने एकला चलो रे का नारा देते हुए लोकसभा के लिए सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया। ममता बनर्जी की पार्टी ने सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा भी कर दी। ममता के इस कदम से कांग्रेस को झटका लगता हुआ नजर आ रहा है तो बीजेपी ने ममता बनर्जी पर जमकर निशाना साधा है। ममता के उम्मीदवारों में जाने माने फिल्मी कलाकार से लेकर क्रिकेटर यूसूफ पठान भी शामिल हैं। कोलकाता की रैली में दीदी ने अपनी पार्टी के 42 सितारों को जमीन पर उतार दिया। जिसके बाद एक झटके में टीएमसी के साथ कांग्रेस के गठबंधन की उम्मीदें हवा हो गईं। लाख कोशिशों के बावजूद पश्चिम बंगाल में इंडिया गठबंधन टूटकर अलग हो गया। ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी अकेले ही चुनाव लड़ेगी और बंगाल ही देश को नया रास्ता दिखाएगा। हालांकि टीएमसी के उम्मीदवारों के ऐलान के साथ ही ममता पर विपक्ष के हमले तेज हो गए हैं। दरअसल, कभी राम नाम का नारा लगाने वालों पर तमतमाने वाली और प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को नौटंकी कहने वाली ममता बनर्जी ने रामनवमी पर छुट्टी का ऐलान भी कर दिया है।
दीदी के स्पेशल 42
टीएमसी ने जिन 42 लोगों की सूची जारी की है उसमें 12 महिलाएं शामिल हैं। 6 मुस्लिम उम्मीदवार को टीएमसी की तरफ से टिकट दिया गया है। 2 पूर्व बीजेपी के विधायक 3 बाहरी उम्मीदवार, 16 लोकसभा सांसद, 11 विधायक, दो कैबिनेट मंत्री और एक राज्यसभा सांसद भी शामिल हैं।
मौजूदा सात सांसदों को टिकट नहीं मिला
एटी इनकबेसी और अलग-अलग वजह के चलते ममता बनर्जी ने अपने मौजूदा सात सांसदों को टिकट नहीं दिया है। 2019 में लोकसभा पहुंचने वाली ऐक्ट्रेस नुसरत जहां को टिकट नहीं दिया गया है। नुसरत बशीरहाट से सांसद हैं। जादवपुर से सासद मिमी चक्रवर्ती का नाम लिस्ट में नहीं है। वह इस्तीफा दे चुकी है और चुनाव न लड़ने की बात कह चुकी है। ममता ने बीजेपी नेता सुभेंदु अधिकारी के पिता शिशिर का कांथी से, भाई दिव्येदु का तामलुक से टिकट काटा है। आरामबाग सुरक्षित से अपारूपा पोद्दार और मथुरापुर से चौधरी मोहन जटुवा का टिकट भी कटा है।
तो इसलिए गठबंधन से अलग हुईं ममता
ममता बनर्जी के अकेले जाने के पीछे बड़ी वजह मानी जा रही है, एंटी इनकबेसी वोटों में बंटवारा। टीएमसी को लगता था कि अगर इंडिया के घटक दलों से हाथ मिलाया तो बंगाल में एंटी इनकमबेसी वोट सीधा बीजेपी में चला जाता। वहां ज्यादातर सीटों पर तिकोना मुकाबला होगा, ऐसे में टीएमसी के खिलाफ जाने वाला वोट बीजेपी और कांग्रेस में बंटेगा और इसका फायदा टीएमसी को हो सकता है। पिछली बार राज्य की 42 सीटों में से टीएमसी ने 22 सीटें जीती थी और उपचुनाव में आसनसोल की सीट जीतकर उसके पास संख्या बल 23 का था। बीजेपी को 18 सीटें मिली थी। ममता की कोशिश है कि इस चुनाव में वह हर हाल में बीजेपी के सीटों की संख्या कम करें।