तो अब बिहार में जदयू-भाजपा का खेला… राज्यसभा के लिए 7वां कैंडिडेट उतारने की तैयारी!

पटना. बिहार में राज्य सभा चुनाव को लेकर एनडीए और महागठबंधन ने खाली हुई छह सीटों के लिए तीन तीन उम्मीदवार उतार दिए हैं. माना जा रहा था कि छह उम्मीदवार संख्या बल के लिहाज से आसानी से जीत हासिल कर लेंगे, लेकिन इसी बीच इस बात की चर्चा तब तेज हो गई एनडीए सातवां उम्मीदवार भी उतार सकता है, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो जाएगा. दरअसल, जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री श्रवण कुमार ने ये कह कर राजनीतिक हलचल तेज कर दी कि तीन बजे तक इंतजार करना होगा कि एनडीए कोई और उम्मीदवार उतारता है कि नहीं?

मंत्री श्रवण कुमार के इस बयान की गंभीरता इसी से समझी जा सकती है कि खबर है कि बिहार बीजेपी के कोषाध्यक्ष राकेश तिवारी के लिए भी  7वें उम्मीदवार के तौर पर नामांकन के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में 10 हजार रुपए जमा कराए गए हैं. इसके बाद ये कयास तेज हो गए हैं कि क्या एनडीए की ओर से सातवें उम्मीदवार की तैयारी की जा रही है. बता दें कि राकेश तिवारी बिहार प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष के साथ-साथ बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के चेयरमैन भी हैं.

राकेश तिवारी अगर अपनी उम्मीदवारी कर देते हैं तो राज्यसभा चुनाव रोचक हो जाएगा. फिलहाल जो संख्या बल है उसके मुताबिक एनडीए के तीन उम्मीदवारों की जीत पक्की है. वहीं महागठबंधन में आरजेडी के संख्या बल के लिहाज से भी जीत तय मानी जा रही है. लेकिन, माना जा रहा है कि सातवां उम्मीदवार आने की स्थिति में कांग्रेस उम्मीदवार अखिलेश सिंह की सीट फंस सकती है.

कांग्रेस उम्मीदवार के पास फिलहाल कांग्रेस के 19 विधायकों के साथ-साथ माले के 12 और सीपीआई और सीपीएम के 2-2 विधायकों का समर्थन है. लेकिन, जीत के लिए कांग्रेस को अतिॉरिक्त वोटों की जरूरत होगी. अगर कोई और उम्मीदवार नहीं खड़ा होता तो उनकी जीत तय मानी जा रही है, लेकिन अगर राकेश तिवारी खड़ा होते हैं तो फिर राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा सकता है.

सूत्र ये भी बताते हैं कि आरजेडी ने जदयू और बीजेपी के विधायकों को तोड़ने की कोशिश की थी, जो सफल नहीं हो पायी. इसके बाद से बीजेपी और जदयू के नेता नाराज बताए जा रहे हैं और कांग्रेस के विधायकों पर उनकी नजर है. यही नाराजगी कहीं कांग्रेस उम्मीदवार अखिलेश सिंह का खेल खराब न कर दे. लेकिन, इसके लिए गुरुवार शाम तक इंतजार करना होगा क्योंकि गुरुवार शाम उम्मीदवारी करने की आखिरी दिन है.  बहरहाल, राजनीति में कब क्या हो जाए कोई नहीं जानता है. बता दें कि माले ने भी राज्यसभा के लिए उम्मीदवारी नहीं देने पर नाराजगी जाहिर की थी.

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