पटना. महागठबंधन की सरकार ने बिहार में बड़ी संख्या में शिक्षकों को नौकरी देकर एक तरह से इतिहास रचने का काम किया है. इसी बीच पटना के गांधी मैदान में गुरुवार को आयोजित खास कार्यक्रम के दौरान डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने संबोधन के दौरान अपनी सरकार की प्राथमिकताओं को गिनाया था. इस दौरान उन्होंने तीन शब्दों का प्रयोग किया था. अब उनके इन तीनों शब्दों की खूब चर्चा हो रही है. लेकिन, तेजस्वी यादव के इन्हीं तीन शब्दों पर प्रशांत किशोर ने निशाना साधा है और उनसे से सवाल पूछा है.
दर असल तेजस्वी यादव ने गांधी मैदान में नियुक्ति पत्र देते हुए भाषण में कहा था कि बिहार में चट फट और झट का राज है यानी चट से फॉर्म भरिए फट से परीक्षा दीजिए और झट से नौकरी कीजिए.तेजस्वी के इस बयान के बाद खूब ताली भी बजी थी क्योंकि तेजस्वी यादव लगातार नौकरी को प्राथमिकता बता जनता को ये बताने की कोशिश कर रहे है कि उनकी प्राथमिकता में नौकरी सबसे उपर है. लेकिन, तेजस्वी यादव के संबोधन के इन्हीं तीन शब्दों चट फट और झट पर प्रशांत किशोर ने सवाल उठाया है.
तेजस्वी यादव के चट-फट और झट वाले बयान पर प्रशांत किशोर ने तंज कसते हुए कहा कि तेजस्वी ने अपने जीवन में सबकुछ झट-पट ही पाया है. लालू के लड़के हैं, तो झट-पट कुर्सी पर बैठ गए और बिना झट-पट बिहार को समझे सुधारने की बात कर रहे हैं, जो विद्वान लोग हैं, जो अनुभवी लोग हैं वो आपको बताएंगे कि जब भी आप झट-पट और शॉर्ट कट करते हैं तो आप जीवन में कुछ नहीं पाते हैं. लेकिन, तेजस्वी यादव जैसे लीडर्स से आप इससे ज्यादा क्या अपेक्षा कर सकते हैं. उन्होंने भी अपने जीवन में सब कुछ झट-पट ही पाया है. समाज के लिए कुछ किया नहीं है। अपनी कुछ योग्यता नहीं दिखाई है. उन्होंने किसी क्षेत्र में अपना पराक्रम, अपना पुरुषार्थ, अपनी योग्यता नहीं दिखाई है. उनसे कोई पूछने वाला नहीं है कि मेरे भाई 15 साल आपके मां-बाबू जी यहां पर मुख्यमंत्री थे तब झट-पट आपने बिहार को क्यों नहीं सुधार दिया.
प्रशांत किशोर कहते हैं कि डिफेक्टिव सरकार चला रहे तेजस्वी यादव बताएं कि स्वास्थ्य, पथ और ग्रामीण कार्य के क्षेत्र को झट-पट कब सुधारिएगा, नीतीश कुमार तो मुखौटा हैं. वहीं प्रशांत किशोर के इस हमले पर शक्ति यादव आरजेडी के मुख्य प्रवक्ता कहते है कि प्रशांत किशोर जैसे बीजेपी के एजेंटों को क्या पता कि तेजस्वी जी क्या है जिन्होंने कम उम्र में ही राजनीति मे देश में अपनी अलग पहचान बना ली है. उनकी प्राथमिकता में नौकरी सबसे ऊपर है जिसका भरोसा उन्होंने बिहार की जनता को दिया था और जिसकी तस्वीर गांधी मैदान में दिखी. अब उनके विरोधी बेचैन हैं. प्रशांत किशोर की बेचैनी भी इसी वजह से बढ़ी हुई है. लेकिन उसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है.
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FIRST PUBLISHED : November 3, 2023, 15:12 IST