तुलजा भवानी माता: त्रेता में श्रीराम आए, कलयुग में छत्रपति शिवाजी ने की देवी की पूजा, जानें मान्यता

प्रवीण मिश्रा/खंडवा.शारदीय नवरात्र की शुरूआत 15 अक्टूबर दिन रविवार से होने जा रही है. 9 दिनों तक श्रद्धालु शक्ति की भक्ति में लीन होंगे. नवरात्र के नौ दिनों तक माता के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाएगी. इस खास मौके पर हम आपको खंडवा के त्रेतायुग के तुलजा भवानी माता के मंदिर में ले चलते हैं. यहां मान्यता है कि मां की प्रतिमा दिन में तीन रूप बदलती है. साथ ही मंदिर में स्थापित माता की स्वयंभू प्रतिमा का जुड़ाव रामायण और महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.

खंडवा का तुलजा भवानी माता का मंदिर. मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए पुजारी राजेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि मंदिर का जुड़ाव त्रेता युग और द्वापर युग से होता है. कहा जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान इस मंदिर में पूजन-अर्चन की थी. रामायण और महाभारत में जिस खांडव वन के बारे में वर्णन मिलता है. वह खांडव वन भी इसी क्षेत्र को माना गया है. इसी खांडव वन के नाम पर इस क्षेत्र को खंडवा नाम दिया गया है.

भगवान श्रीराम से जुड़ी मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने इसी खांडव वन में अपने वनवास के दौरान समय बिताया था और इसी शक्तिस्थल पर लगातार 9 दिनों तक पूजा-अर्चना कर लंका के लिए कूच किया था. माता से दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्राप्त किए थे. जबकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि माता भवानी ने खरदूषण के आतंक को खत्म करने के लिए भगवान श्रीराम को कुछ विशेष और दिव्य अस्त्र-शस्त्र वरदान में दिए थे.

मां तुलजा भवानी मराठा शासक शिवाजी की कुलदेवी
इस मंदिर में विराजित मां तुलजा भवानी मराठा शासक शिवाजी की कुलदेवी भी है. इतिहासकार बताते हैं कि शिवाजी स्वयं और उनका कुलवंश भी इस मंदिर में माता की आराधना करने आते थे. किवदंती है कि शिवाजी को मां भवानी ने शमशीर प्रदान की थी. उसी शमशीर के तेज से उन्होंने मुगलों के दांत खट्टे किए थे.

लाखों श्रद्धालुओं की भीड़
चैत्र और अश्विन की नवरात्र के अवसर पर लगातार 9 दिनों तक यहां आस-पास के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.जिसके कारण मंदिर क्षेत्र का माहौल एक विशाल मेले में बदल जाता है. यहां श्रद्धालुओं की अनन्य आस्था जुड़ी हुई है. मंदिर में विराजित शक्ति स्वरूपा से सच्चे मन से जो मांगो वह आशीर्वाद मिलता है.

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