तीन लाख लोन लेकर शुरू किया कारोबार, अब सालाना 12 लाख का है टर्नओवर

दीपक कुमार/बांका : बिहार में पढ़ाई के बाद अमूमन युवा सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट जाते हैं. अभिभावक भी यही चाहते हैं उनका बच्चा पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल कर ले. ताकि जिंदगी आरामा से कट सके. अपने अभिभावकों की हसरत पूरी करने के लिए युवा पढ़ाई के बाद नौकरी की तैयारी में अपना समय खपा देते हैं. इसके उलट कुछ ऐसे भी युवा हैं, जो पढ़ाई खत्म करने के बाद नौकरी की तलाश करने के बजाय खुद का धंधा शुरू करने में लग जाते हैं और सफल भी हो जाते हैं.

कुछ इसी तरह का उदाहरण बांका जिला मुख्यालय स्थित बांका मुख्यालय के बाबू टोला मोहल्ला निवासी राकेश रंजन पेश कर रहे हैं. जो इंटर की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तैयारी में लगने वाले समय को जाया करने के बजाय खुद का धंधा शुरू कर दिया. प्लेट और थाली बनाने का धंधा चल निकला. अब सालाना अच्छी कमाई कर रहे हैं.

उद्योग विभाग से लोन लेकर शुरू किया था धंधा
राकेश रंजन ने लोकल 18 को बताया कि इंटर की पढ़ाई खत्म करने के बाद नौकरी में कोई दिलचस्पी नहीं था. खुद का अपना व्यवसाय शुरू कर दूसरों को भी रोजगार देना चाहते थे. इसी दौरान दोस्तों के माध्यम से पता चला कि उद्योग विभाग से नोटिफिकेशन जारी हुआ है, जिसमें 3 लाख का लोन मिल रहा है. इसके बाद राशि हासिल करने के लिए फॉर्म भरकर आवेदन दे दिया.

उद्योग विभाग द्वारा आवेदन स्वीकृत भी कर लिया गया. तीन लाख की राशि मिल गई और इससे प्लेट, पत्तल और कटोरी बनाने का फैक्ट्री लगा लिया. राकेश रंजन ने लोकल 18 को बताया कि प्लेट का रोजगार इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि इसकी जरूरत सभी को पड़ती है और यह धंधा कभी समाप्त होने वाला नहीं है. जन्म से लेकर मृत्यु तक इसकी जरूरत लोगों को पड़ती है. बांका जैसे शहर में हमेशा इन सामग्रियों की कमी रहती है. दो साल ये यह धंधा चला रहे हैं और लगातार डिमांड बढ़ रही है.

12 लाख से अधिक का है सालाना टर्नओवर
राकेश रंजन ने लोकल 18 को बताया कि दो साल पूर्व हीं प्लेट, पत्तल और कटोरी बनाने का कारोबार शुरू किए हैं. प्लेट निर्माण करने के लिए थाली कटर और हीटर मशीन का उपयोग किया जाता है. उन्होंने बताया कि प्लेट सहित अन्य सामाग्री बनाने के लिए रांची, कोलकाता और लखनऊ से रॉ मटेरियल मंगवाते हैं.

वहीं प्लेट का छोटा साइज व्यपारी को पांच रूपए प्रति पैकेट से हिसाब से देते हैं. जबकि निर्माण में 4.50 रुपए खर्च आता है. वहीं एक पैकेट थाली की कीमत 20 रुपए है. जिसे बनाने में 19 रुपए खर्च आता है. दो लोग काम करते हैं, जिन्हें 6-6 हजार सैलरी दी जाती है. इस कारोबार का सालाना टर्नआवेर 12 लाख से अधिक है.

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