तिरुपति के बाद हनुमानगढ़ी के प्रसिद्ध लड्डू को मिलेगा GI टैग, प्राण प्रतिष्ठा से पहले शुरू हुआ प्रयास

अभिषेक जायसवाल/वाराणसी: राम मंदिर के उद्घाटन से पहले हनुमानगढ़ी के लड्डुओं की चर्चा हो रही है. इन लड्डुओं को जीआई टैग मिले और इसका कॉपीराइट हो इसके लिए आवेदन किया गया है. वाराणसी के रहने वाले जीआई टैग के एक्सपर्ट पद्मश्री रजनीकांत ने इसके लिए आवेदन किया है. माना जा रहा है आने वाले कुछ दिनों में हनुमानगढ़ी के लड्डू को तिरुपति के लड्डू की तरह जीआई टैग मिल जाएगा.

गौरतलब है कि जीआई टैग एक ऐसा नाम या संकेत है जो प्रमाणित करता है कि किसी उत्पाद में विशिष्ट गुण हैं जो इसे दूसरों से अलग बनाते हैं. किसी भी प्रोडक्ट पर जीआई टैग हासिल करने के लिए अप्लाई करना होता है और इसके लिए प्रोडक्स बनाने वाली एसोसिएशन या संस्था अप्लाई कर सकती है. भारत में जीआई टैग 15 सितंबर 2003 से लागू हुआ था और दार्जिलिंग चाय जीआई टैग पाने वाला पहला भारतीय उत्पाद बना था.

जीआई टैग के लिए आवेदन स्वीकार
डॉ रजनीकांत ने बताया कि सोमवार को जीआई टैग के लिए आवेदन स्वीकार हो गया है और जीआई आवेदन संख्या भी मिल गई है. ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन की टीम के निरंतर प्रयास से हलवाई कल्याण समिति अयोध्या आवेदक के रूप में शामिल हुई है. अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले इसे राम और हनुमान भक्त उनकी ही कृपा मान रहे है.

तो विदेश भी जाएंगे लड्डू
बता दें कि जब हनुमान गढ़ी के लड्डू को भी जीआई टैग मिल जाएगा तब वो भी बौद्धिक संपदा के रूप में दर्ज होगी. उसके बाद जब करोड़ों राम और हनुमान भक्त जब अयोध्या दर्शन को आएंगे तो पूरे गौरव के साथ न सिर्फ इन लड्डुओं का प्रसाद चेखेंगे बल्कि उसे साथ भी ले जाएंगे. इसके अलावा जीआई टैग मिलने के बाद इसे बाहर भी भेजा जाएगा और पूरे दुनिया में हनुमानगढ़ी के लड्डू एक ब्रांड बनकर सामने आएंगे. बताते चलें कि बेसन और शुद्ध देसी घी से इन लड्डुओं को तैयार किया जाता है.

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