गुलशन कश्यप/जमुई:- इन दिनों बिहार के जमुई जिले का एक तालाब काफी चर्चा में है. दरअसल इस तालाब की खुदाई कर रहे लोगों को अचानक ही कुछ ऐसा मिला, जिसके बाद लोगों में हलचल मच गई. यहां लोग गांव में तालाब की खुदाई करवा रहे थे. अचानक वहां से एक प्राचीन प्रतिमा निकल आई, जो करीब 1500 साल पुरानी है. बताया जा रहा है कि इस प्रतिमा का निर्माण सातवीं से आठवीं शताब्दी के दौरान पाल वंश के काल में किया गया था.
आखिर किस चीज की थी यह प्रतिमा
दरअसल बिहार के जमुई जिला के सिकंदरा प्रखंड क्षेत्र स्थित सिझौड़ी गांव में ग्रामीणों के द्वारा एक तालाब का निर्माण कराया जा रहा था. इसी दौरान लोगों को यह प्रतिमा मिली है. पुरातत्वविद् की मानें, तो यह प्रतिमा भगवान सूर्य की है और भगवान सूर्य के दोनों सेवक दंड और पिंगल की प्रतिमा भी स्थित है. बताया जा रहा है कि यह प्रतिमा अत्यंत दुर्लभ है तथा अष्टधातु की अत्यंत प्राचीन पत्थर से बनी हुई है.
ग्रामीणों ने लिया है यह निर्णय
प्रतिमा बरामद होने के बाद से ही जमुई के ग्रामीण इलाकों में कौतूहल का विषय बना हुआ है. ग्रामीण उक्त प्रतिमा को गांव में एक मंदिर बनाकर स्थापित करना चाहते हैं और इसको लेकर लोगों में काफी उत्साह भी देखने को मिल रहा है. बताया जा रहा है कि चंदे से पैसा एकत्रित कर गांव के बीचों-बीच एक भव्य मंदिर बनवाया जाएगा और उसी में भगवान सूर्य की यह प्रतिमा स्थापित की जाएगी. इस प्रतिमा की लंबाई 3 फीट के करीब है और यह काफी अमूल्य भी है.
अमूल्य वस्तु बरामद होने को लेकर है यह नियम
चंद्रशेखर सिंह संग्रहालय के पूर्व संग्रहालय अध्यक्ष डॉ. शिवकुमार मिश्र ने बताया कि Indian treasure trove act 1878 के अनुसार अगर किसी भी जगह लोगों को किसी प्रकार की प्राचीन या अमूल्य वस्तु मिलती है, तो यह स्थानीय डीएम अथवा कलेक्टर की जिम्मेदारी होती है कि उसे म्यूजियम को दे दिया जाए. दरअसल यह खजाना काफी अमूल्य होता है और इसकी चोरी की संभावनाएं अधिक होती हैं. ऐसे में अगर ग्रामीण उक्त वस्तु की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हैं और किसी कारणवश ऐसे अमूल्य वस्तुओं को नुकसान पहुंचता है या उसकी चोरी होती है, तो सभी लोगों के ऊपर प्राथमिकी दर्ज करने करके कार्यवाही की जा सकती है.
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FIRST PUBLISHED : February 8, 2024, 13:55 IST