इंदौर: मध्य प्रदेश के हाईकोर्ट में एक तलाकशुदा महिला पर अपने पूर्व पति और उसके बुजुर्ग माता-पिता के खिलाफ ‘बेवजह मुकदमेबाजी’ जारी रखने के कदम को नजरअंदाज करते हुए उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इंदौर में हाईकोर्ट की एकल पीठ के न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने 1 मार्च को आदेश में कहा है कि महिला ने ‘अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है.
कोर्ट ने बेवजह मुकदमेबाजी को रोकते हुए याचिकाकर्ता महिला को कहा है कि ऐसे केसों के लिए वह अदालतों का सहारा नहीं ले सकते. इंदौर की रहने वाली महिला को पिछले साल फरवरी में आपसी सहमति से तलाक के बाद समझौते के बदले 50 लाख रुपये मिले थे. तलाक के दौरान हुए समझौते के दौरान महिला को अपने पूर्व पति के खिलाफ दर्ज केसों को वापस लेना होगा. इसमें महिला ने अपने पूर्व पति और ससुरालवालों के खिलाफ क्रूरता, आपराधिक धमकी और अन्य आरोपों के लिए पांच साल पहले यहां एक पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई थी.
इस जोड़े की शादी 2000 में हुई थी और उनकी एक 20 साल की बेटी है, जो तलाक के बाद अपने पिता के साथ रह रही है. अदालत ने महिला की सहमति के बिना दहेज उत्पीड़न, मारपीट और गर्भपात के आरोप से संबंधित मामले को रद्द करते हुए उसे अपने पूर्व पति को 1 लाख रुपये देने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट ने महिला के पूर्व पति और ससुरालवालों द्वारा उनके खिलाफ मामले को रद्द करने की मांग वाली याचिका को अनुमति देते हुए कहा कि एक लाख रुपये का जुर्माना केवल बेईमान वादियों को सावधान करने के लिए लगाई गई है कि वे गंभीर मुकदमेबाजी के लिए अदालतों का सहारा न ले सकें और अदालतों का बहुमूल्य समय उन्हें किसी भी तरह से बर्बाद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
कोर्ट ने क्या कहा?
अदालत ने आदेश दिया कि महिला चार सप्ताह के भीतर उस व्यक्ति को उसके बैंक खाते में राशि जमा करके भुगतान करे. अदालत ने कहा कि जोड़े ने 2 फरवरी, 2023 को आपसी सहमति से तलाक ले लिया और व्यक्ति ने इसके बदले में उसे 50 लाख रुपये भी दिए. हाईकोर्ट ने कहा कि जहां तक आईपीसी की धारा 498ए, 323, 506, 34, 325 के तहत अन्य अपराधों का सवाल है, यह पाया गया है कि शिकायतकर्ता द्वारा सर्वव्यापी आरोप लगाए गए हैं और इस तथ्य पर विचार करते हुए आपसी सहमति से तलाक का फैसला सुनाया गया है. पक्षों के बीच पहले ही पारित हो चुका है, प्रतिवादी नंबर 2 (महिला) इसे वापस लेने के लिए बाध्य थी, लेकिन उसने जानबूझकर गुप्त इरादों के साथ आरोप-पत्र के उस हिस्से को भी वापस लेने से इनकार कर दिया.
इस प्रकार, अपने पूर्व पति के साथ समझौता करने और उसके बदले में 50 लाख रुपये स्वीकार करने के बावजूद याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आपराधिक मामले को जारी रखने में प्रतिवादी का आचरण स्पष्ट रूप से ‘अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग’ है.
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Tags: Divorces, Madhya Pradesh High Court
FIRST PUBLISHED : March 6, 2024, 17:44 IST