नई दिल्ली: देश के कई राज्य ऐसे हैं, जहां पर लोग नशीले पदार्थों का सेवन खूब करते हैं. पिछले कुछ सालों की बात करें तो पंजाब, केरल, हरियाणा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में भी तंबाकू, अफीम, गांजा और शराब जैसे नशा का सेवन करने वालों की संख्या बढ़ी है. कमोबेश भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में नशीली पदार्थों का प्रयोग होता है. नेशनल ड्रग डिपेंडेंट ट्रीटमेंट (NDDT) की रिपोर्ट कहती है कि भारत में लगभग 16 करोड़ लोग सिर्फ शराब का नशा करते हैं. इसमें बड़ी संख्यायों में शहरी महिलाएं शामिल हैं. यूपी-बिहार जैसे राज्यों में भी लोग अलग-अलग प्रकार के नशा करते हैं. बिहार में जहां लोग खैनी का सेवन ज्यादा करते हैं तो यूपी में तंबाकू से जुड़े उत्पादों का प्रचलन खूब है.
मंगलवार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने कहा कि सरकार ड्रग डिमांड रिडक्शन योजना के तहत हर साल तकरीबन 100 करोड़ रुपये खर्च करती है. इसके तहत केंद्र सरकार नशीले पदार्थों का उपयोग करने वालों के लिए पुनर्वास केंद्रों, किशोरों को नशीले पदार्थों के उपयोग की रोकथाम के लिए सीपीएलआई योजना, आउटरीच और ड्रॉप इन सेंटर एवं जिला नशामुक्ति केंद्रों के संचालन और रखरखाव के लिए एनजीओ के जरिए हर साल मदद देती है.

नशीले पदार्थों के उपयोग को रोकने की योजनाओं के लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 में किस राज्य को सबसे अधिक धन मिला है.
हर साल पुर्नवास केंद्रों पर करोड़ों रुपये होते हैं खर्च
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने एक डाटा जारी किया है. इस डाटा में राज्यवार दिए गए पैसों के बारे में बताया गया है. साल 2022-23 वित्तीय वर्ष में मोदी सरकार ने तकरीबन 100 करोड़ देश के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दिए. आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों को 2022-23 वित्तीय वर्ष में तकरीबन 4 करोड़ रुपये दिए गए. इसी तरह असम को 4.37 करोड़ रुपये जारी किए गए. बिहार को 1.84 करोड़ रुपये दिए गए. इसी तरह कर्नाटका को साल 2022-23 वित्तीय वर्ष के दौरान 9 करोड़ रुपये दिए गए. मनीपुर को 8 करोड़, ओड़िशा को 9.31 करोड़ रुपये दिए गए. तमिलनाडु को 5.19 करोड़ रुपये दिए गए. बता दें कि देश की 66 नशामुक्ति केंद्रों को यह रकम दी गई.
इन राज्यों को मिले इतने करोड़ रुपये
साल 2022-23 में आंध्र प्रदेश को 3.99 करोड़ रुपये केंद्र की तरफ से मिले. गुजरात को 2.53 करोड़, हरियाणा को 2.03 करोड़, कर्नाटक को 9 करोड़, केरल को 3.54 करोड़ रुपये दिए गए. मध्य प्रदेश को 3.50 करोड़, महाराष्ट्र को 9.88 करोड़, मणिपुर को 8 करोड़ रुपये मिले. इसी तरह ओड़िशा को 9.31 करोड़, राजस्थान को 4.87 करोड़ और पंजाब को 1.01 करोड़ रुपये दिए गए.

भारत में एनडीपीसी एक्ट 1985 की अलग-अलग धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा केंद्र
अगर नशामुक्त केंद्रों की संख्या की बात करें तो देश में जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा नशामुक्ति केंद्रों की संख्या है. देश की 66 नशामुक्ति केंद्रों में 18 नशामुक्ति केंद्र सिर्फ जम्म-कश्मीर में ही है. बिहार में दो नशामुक्ति केंद्र हैं तो दल्ली में भी इतनी संख्या में ही नशामुक्ति केंद्र है. यूपी, गुजरात, आंध्र प्रदेश, पंजाब और हिमाचल प्रदेश में भी दो से ज्यादा नशामुक्ति केंद्रों की संख्या है.
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भारत की अलग-अलग एजेंसियों से जुड़े रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ड्रग्स का अवैध कारोबार लगभग 10 लाख करोड़ रुपए का है. बता दें कि भारत में नशीले पदार्थों के सेवन करने वालों पर एनडीपीसी एक्ट 1985 की अलग-अलग धाराओं के तहत कार्रवाई की जाती है. इस एक्ट के तहत भारत में नशीले पदार्थ का सेवन करना, इसे बेचना, अपने घर में रखना और ड्रग्स का कारोबार करने वालों की सहायता करने पर सजा का प्रावधान है. कुलमिलाकर अगर आप नशा ही न करेंगे यह पैसा और विकास कार्यों में लग सकता है, लेकिन सालों से सरकारें मजबूरन अपना खजाना इन कामों के लिए खाली करना पड़ रहा हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 7, 2024, 18:07 IST