ढाई हजार साल पहले यहां बना था विश्व का पहला संसद भवन, 7770 प्रतिनिधि बहुमत से लेते थे फैसला

राजकुमार सिंह/ वैशाली. आजादी के अमृतकाल में दिल्ली में नया संसद भवन बना है. बताया जा रहा है कि पुराने संसद में जगह कम पड़ जाने के कारण नया संसद भवन बनाया गया है, जो अभी चर्चा में है. लेकिन क्या आपको मालूम है कि भारत ही नहीं, विश्व का सबसे पुराना संसद भवन कहां बना था और उसमें प्रतिनिधियों के बैठने की क्षमता कितनी थी. दरअसल, बिहार के वैशाली को विश्व का प्रथम गणराज्य होने का गौरव प्राप्त है. इसी वैशाली के लिच्छवी गणराज्य में आज से लगभग ढाई हजार साल पहले संसद भवन बना था. जिसमें देश के अलग-अलग हिस्से से चुनकर आने वाले 7770 प्रतिनिधि बैठा करते थे.

81 एकड़ के किले में बना था संसद भवन

माना जाता है कि लिच्छवी गणराज्य के राजा विशाल ने लगभग 81 एकड़ में एक किला बनवाया था, जो अभी वैशाली गढ़ के नाम से जाना जाता है. इसी गढ़ में ढाई हजार साल पहले बने संसद भवन का भग्नावशेष अब भी मौजूद है. हालांकि राजा विशाल का किला अभी खंडहर में तब्दील हो चुका है. लेकिन संसद भवन का अवशेष आज भी मौजूद है, जिसे देखकर आप समझ पाएंगे कि दुनिया के सबसे पुराने संसद की बनावट क्या थी और इसमें बैठने की क्या व्यवस्था थी. जानकर बताते हैं कि उस समय स्वर्णिम काल हुआ करता था. जब 7 हजार से अधिक लोग एक जगह बैठकर किसी मामले पर बहुमत के आधार पर फैसला सुनाते थे.

बहुमत के आधार पर लेते थे फैसला

स्थानीय जानकारों की माने तो भगवान श्रीराम भी वैशाली के राजा सुमति के शाशनकाल में जनकपुर जाने के दौरान लक्ष्मण के साथ आए थे. यहां के राजा का आतिथ्य स्वीकार किया था. लेकिन वैशाली का वैभव नष्ट होने के साथ ही यह सब भी जमींदोज हो गया है. यह भी बताया जाता है कि चीनी यात्री ह्वेनसांग और फाहियान ने वैशाली का दौरा कर पुस्तक लिखा था. उनके लिखे पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद इतिहासकारों ने इस स्थल की खोज की. वहीं, पोस्ट ऑफिस से रिटायर्ड अधिकारी अनिल सिंह बताते हैं कि विश्व का सबसे पहला संसद भवन वैशाली में ही था. इसमें एक साथ 7770 लोग एक साथ बैठकर बहुमत के आधार पर फैसला लेते थे.

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