“ड्रोन बन रहे हैं पसंदीदा हथियार…”: एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने NDTV से

वासुसेना प्रमुख वीआर चौधरी ने कहा, ड्रोन देशों के साथ-साथ अन्य ताकतों के भी पसंदीदा हथियार बन रहे हैं.

नई दिल्ली:

ड्रोन देशों के साथ-साथ अन्य ताकतों के भी पसंदीदा हथियार बन रहे हैं. एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने एक खास इंटरव्यू में NDTV से यह बात कही. वायु सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय वायु सेना (IAF) न केवल टोह लेने के लिए बल्कि हमले के लिए भी ड्रोन का उपयोग करने पर विचार कर रही है.

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एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि, “ड्रोन अब स्टेट और नॉन-स्टेट एक्टर्स (देशों के अलावा अन्य ताकतें) दोनों की पसंद का हथियार बन रहे हैं. हमें बड़ी संख्या में ड्रोन को शामिल करने की क्षमता का भी एहसास हुआ. न केवल पारंपरिक भूमिका टोही के रूप में निगरानी के लिए इनका हम उपयोग करते हैं, बल्कि कुछ आक्रामक अभियानों के लिए भी.”  

उन्होंने कहा कि ड्रोनों को आक्रामक भूमिकाओं में मुख्यधारा में लाने के साथ-साथ वायु-रक्षा क्षमताओं में भी सुधार करना होगा. यूक्रेन के युद्ध में ड्रोन ने अपना असर दिखाया है. बहुत सस्ता हार्डवेयर बहुत बड़े लक्ष्यों को नष्ट कर सकता है.

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, “…तब जब उपमहाद्वीप में ड्रोन का प्रसार हो रहा है, हमारे पास अपनी एयर डिफेंस की क्षमताओं को बढ़ाने की योजना है, क्योंकि अब हमें छोटे ड्रोन से लेकर हाइपरसोनिक हथियारों तक का खतरा है. इसलिए हमें समान मात्रा में एयर डिफेंस नेटवर्क और क्षमताओं को मजबूत करने की जरूरत है.”

भारत बेसिक से लेकर कॉम्पलेक्स मशीनों तक सभी प्रकार के ड्रोन विकसित करने के लिए काम कर रहा है. एयर चीफ मार्शल ने इस प्रक्रिया के बारे में संक्षेप में बताया. इनके निर्माण के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और छोटी निजी कंपनियां काम कर रही हैं.

उन्होंने स्वार्म बेस्ड ड्रोन सिस्टम विकसित करने के लिए भारतीय स्टार्ट-अप के लिए भारतीय वायुसेना द्वारा “मेहर बाबा कॉम्पटीशन” की ओर इशारा किया.

एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा, “हमें मेहर बाबा कॉम्पटीशन से आश्चर्यजनक परिणाम मिले और कई छोटी कंपनियां विकसित हुईं. कई छोटे उद्योग जिन्होंने स्वार्म ड्रोन बनाना शुरू किया. वे उन जरूरतें पूरी करने में सक्षम हुए हैं जिसका हमने उस समय अनुमान लगाया था.”

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह उद्योग वास्तव में हमारे देश के भीतर तेजी से बढ़ रहा है. इसमें से अधिकांश निजी क्षेत्र में और छोटे पैमाने पर है. हम उन सभी को अपने आइडियाज के साथ आने और यह देखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि हम उन्हें अपने बड़े ऑपरेशनल प्लान में कैसे लागू कर सकते हैं.”

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