डेंगू के मरीजों के लिए है रामबाण, एक बार की लागत… 25 साल तक मुनाफा, वरदान है इस फ्रूट की खेती

दिलीप चौबे/कैमूर. बिहार के किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर नगदी फसल की खेती करने लगे. नगदी फसल में सब्जी के अलावा प्रयोगधर्मी खेती कर रहे हैं. इसमें ड्रैगन फ्रूट किसानों के लिए बेहतर विकल्प साबित हो रहा है. बाजार में अधिक डिमांड रहने के चलते किसानों को मुनाफा भी हो रहा है. अब बिहार के कैमूर जिले में भी ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू हो गई है. भभुआ प्रखंड अंतर्गत मरिचाव गांव के रहने वाले किसान सुनील सिंह ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. इस फल की खेती में सुनील सिंह को बेहतर मुनाफा हुआ है. इसकी खेती करने पर पहली बार ही लागत लगती है और एक साल में पौधा तैयार हो जाता है. इसके बाद अगले 25 साल तक यह फल देते रहता है. 3 साल में लागत निकल जाती है उसके बाद सिर्फ फायदा ही होता है.

किसान सुनील सिंह ने बताया कि रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत जलदहा गांव के रहने वाले मित्र अजय सिंह को ड्रैगन फ्रूट की खेती करते देखा. वह 3 साल से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. अजय की खेती और होने वाले मुनाफे से प्रेरित होकर ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का मन बना लिया. ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए, एक बार तो विश्वास नहीं हुआ था कि कम समय में इतना बेहतर उपज होगी.  सुनील सिंह ने बताया कि इसे लगाने का सही समय फरवरी माह है. पौधे लगाने के 18 महीने बाद इसमें फूल आना शुरू हो जाता है और यही फूल फल में कन्वर्ट हो जाता है. ड्रैगन फ्रूट के पौधे को फरवरी से लेकर लास्ट मार्च तक लगाया था.
उम्मीद नहीं थी कि इतना ज्यादा इसमें फ्रूट होगा, क्योंकि हरियाणा में जहां से पौधा लेकर आया था उनके यहां भी इतने कम समय में इतना बढ़िया फलन नहीं हुआ था.

25 से 30 हजार तक की कर चुके हैं कमाई
सुनील सिंह ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती में किसी प्रकार के रासायनिक खाद उपयोग नहीं करते हैं और ना ही रासायनिक दवाओं का छिड़काव करते हैं. पूरी तरह से ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं. इसमें मवेशी के गोबर का कंपोस्ट डालते हैं. उन्होंने बताया कि बीज की प्रोसेसिंग में लंबा वक्त लगता है. इसका पौधा खरीद कर लाते हैं और पौधे का कलम करने पर रुट्स निकल जाता है. सुनील ने बताया कि कम समय में 50 किलो से ऊपर ड्रैगन फ्रूट को बाजार में बेच चुके हैं. ड्रैगन फ्रूट का बाजार मूल्य 600 से 700 रुपए किलो है. 500 रुपए किलो के हिसाब से तो गांव के लोग हीं खरीदकर ले जा रहे हैं, क्योंकि ये डेंगू के मरीज के लिए काफी लाभदायक है. अब तक 25 से 30 हजार तक की कमाई हो गई है. हालांकि, फल निकलने का सिलसिला जारी है. सुनील ने बताया कि अगली बार से दो एकड़ में इसकी खेती करेंगे. इसकी तैयारी चल रही है और पोल बनना चालू हो गया है.

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FIRST PUBLISHED : October 16, 2023, 18:32 IST

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