डीके जांगला बने दिल्‍ली न्‍यायिक सेवा संघ के अध्‍यक्ष, कौन बना कोषाध्‍यक्ष?

नई दिल्‍ली. दिल्ली न्यायिक सेवा संघ (DJSA) के चुनावों के नतीजे आ गए हैं. अतिरिक्‍त सत्र न्‍यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला दिल्ली उच्च न्यायिक सेवा (DHJS) के अध्‍यक्ष चुने गए हैं. उन्‍हें 498 वोट मिले. उन्होंने रुचि अग्रवाल को हराया, जिन्हें महज 97 वोट ही मिले. 2 नवंबर, 2023 की अधिसूचना के अनुसरण में यह चुनाव आयोजित किए गए थे. चुनाव के माध्‍यम से दिल्ली न्यायिक सेवा संघ के सचिव, कोषाध्यक्ष और अध्‍यक्ष को चुना जाना था. जज शेफाली बरनाला टंडन 400 वोटों के साथ सचिव चुनी गईं. उन्होंने हिमांशु तंवर को 155 वोटों से हराया, जबकि ओमबीर शौकीन को सिर्फ 40 वोट मिले. इसी तर्ज पर जज नेहा पांडे को 430 वोट मिले और वह 166 वोट पाने वाली रुचिका त्यागी को हराकर कोषाध्यक्ष चुनी गईं.

इससे पहले, पंजाब हाई कोर्ट एक सर्किट बेंच के माध्यम से दिल्ली पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करता था, जो केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और दिल्ली प्रशासन से संबंधित मामलों को देखता था. दिल्ली के महत्व, इसकी जनसंख्या और अन्य विचारों को देखते हुए, संसद ने दिल्ली का एक अलग एवं नया हाई कोर्ट स्थापित करना आवश्यक समझा. 5 सितंबर, 1966 को दिल्ली हाई कोर्ट अधिनियम, 1966 को लागू करके हासिल किया गया था.

यह भी पढ़ें:- हाफिज सईद का बेटा लाहौर से उतरेगा चुनावी मैदान में, पाकिस्तान के चुनाव में आतंकवाद की एंट्री

क्‍यों पड़ी जज एसोसिएशन बनाने की जरूरत?
दिल्ली हाई कोर्ट की स्थापना के बाद दिल्ली का न्यायिक सेवा संघ सामने आया. जज एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य न्यायिक अधिकारियों का कल्याण है. दिल्ली न्यायिक सेवा संघ बनाम गुजरात राज्य द्वारा शुरू किए गए एक अत्यंत महत्वपूर्ण मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले को उठाया था, जहां गुजरात के एक न्यायिक अधिकारी को एक पुलिस स्टेशन में शराब पीने के लिए मजबूर किया गया था. उन्हें वहां जाने के लिए कहा गया. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और सरकार के समक्ष पेश किया गया था. हथकड़ी लगी अवस्था में उन्‍हें जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया और उसकी फोटो भी खींची गई.

डीके जांगला बने दिल्‍ली न्‍यायिक सेवा संघ के अध्‍यक्ष, सचिव-कोषाध्‍यक्ष पद पर किसे मिली जीत? जानें

जजों की गिरफ्तारी को लेकर क्‍या हैं नए नियम? 
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायिक अधिकारी की गिरफ्तारी के संबंध में व्यापक दिशानिर्देश पारित किए थे. जिसके तहत यदि किसी न्यायिक अधिकारी को किसी अपराध के लिए गिरफ्तार किया जाना है, तो इसे जिला न्यायाधीश या उच्च न्यायालय को सूचित करते हुए किया जाना चाहिए. यदि तथ्यों और परिस्थितियों के कारण अधीनस्थ न्यायपालिका के किसी न्यायिक अधिकारी की तत्काल गिरफ्तारी की आवश्यकता होती है, तो तकनीकी या औपचारिक गिरफ्तारी की जा सकती है. ऐसी गिरफ्तारी के तथ्य को तुरंत संबंधित जिले के जिला और सत्र न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को सूचित किया जाना चाहिए.

Tags: Delhi Court, Delhi news, Judiciary

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *