नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महागठबंधन का साथ छोड़ दिया. एनडीए में वापसी के बाद उन्होंने भाजपा के सहयोग से दोबारा सरकार बनाई. नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. जबकि भाजपा के दो नेता- सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा उपमुख्यमंत्री बने. सम्राट चौधरी ओबीसी समुदाय से आते हैं जबकि सिन्हा, भूमिहार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. वह बिहार विधानसभा के स्पीकर और कैबिनट मिनिस्टर भी रह चुके हैं.
भारत की राजनीति पर निगाह डालें तो गठबंधन की सरकारों में सत्ता संतुलन के लिए डिप्टी सीएम बनाने की परंपरा रही है. हाल के सालों में तो डिप्टी सीएम बनाने का चलन तेजी से बढ़ा है. कुछ वक्त पहले ही जिन-चार राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में चुनाव हुए, सब में डिप्टी सीएम (Deputy Chief Minister) बनाए गए. हालांकि दिलचस्प बात यह है कि संविधान में डिप्टी सीएम या उपमुख्यमंत्री नाम का कोई पद ही नहीं है.
डिप्टी CM पर क्या कहता है संविधान?
भारतीय संविधान का आर्टिकल 163ए कहता है कि राज्यपाल को अपने कार्यों के निष्पादन में सहायता और सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्री परिषद होगा. इसी तरह आर्टिकल 163 और आर्टिकल 164 में मंत्री परिषद के गठन से जुड़े नियम हैं. हालांकि इन दोनों आर्टिकल में डिप्टी सीएम जैसी कोई बात नहीं है. इन आर्टिकल में कहा गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल की संस्तुति पर होगी. जबकि मंत्रियों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल करेंगे.
डिप्टी CM के पास क्या पावर?
संविधान में भले ही डिप्टी सीएम नाम का कोई पद ना हो लेकिन उपमुख्यमंत्री की रैंक सूबे के कैबिनेट मिनिस्टर के बराबर ही होती है. वह अपने विभाग के तमाम फैसले ले सकते हैं. उपमुख्यमंत्री को वही वेतन-भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं, जो कैबिनेट मिनिस्टर को हासिल होती हैं.
कितने राज्यों में उपमुख्यमंत्री?
अभी तक देश के कुल 13 राज्यों में उपमुख्यमंत्री थे. बिहार 14वां राज्य है, जहां दो उपमुख्यमंत्री बने हैं. आंध्र प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां सर्वाधिक पांच उपमुख्यमंत्री हैं. जगनमोहन रेड्डी की सरकार में पांच डिप्टी सीएम काम कर रहे हैं. सारे अलग-अलग समुदाय से आते हैं और राज्य की सियासत में धमक है.
कौन था देश का पहला डिप्टी सीएम?
कांग्रेस नेता अनुग्रह नारायण सिंह संभवत: देश के पहले डिप्टी सीएम थे. राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले अनुग्रह नारायण बिहार में डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के बाद कांग्रेस के दूसरे सबसे ताकतवर नेता थे. राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि 1967 के बाद जैसे-जैसे कांग्रेस राज्यों में कमजोर होती गई, उप मुख्यमंत्री बनाने का चलन बढ़ता गया.
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आइये आपको राज्यवार कुछ उदाहरण बताते हैं…
बिहार: अनुग्रह नारायण सिंह देश के पहले डिप्टी सीएम थे. वह 1957 में अपने निधन तक इस पद पर बने रहे. इसके बाद कर्पूरी ठाकुर 1967 में राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री बने. इसके बाद जगदेव प्रसाद और राम जयपाल सिंह यादव जैसे नेता उपमुख्यमंत्री बने.
उत्तर प्रदेश: यूपी की बात करें तो रामप्रकाश गुप्ता पहले उपमुख्यमंत्री थे. जनसंघ से आने वाले गुप्ता 1967 में चौधरी चरण सिंह की सरकार में उपमुख्यमंत्री बने थे. अगली बार जब चंद्रभान गुप्ता मुख्यमंत्री बने तब कमलापति त्रिपाठी डिप्टी सीएम बने. बाद मे कमलापति त्रिपाठी और राम प्रकाश गुप्ता दोनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे.
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मध्य प्रदेश: भारतीय जन संघ के नेता वीरेंद्र कुमार सक्लेचा ( Virendra Kumar Saklecha) मध्य प्रदेश के पहले डिप्टी सीएम थे. वह जुलाई 1967 में आई गोविंद नारायण सिंह (Govind Narain Singh) की सरकार में उपमुख्यमंत्री बने थे.
हरियाणा: दिल्ली से सटे हरियाणा की राजनीति पर नजर डालें तो यहां भी उपमुख्यमंत्री की परंपरा रही है. रोहतक से आने वाली जाट नेता चौधरी चांदराम, राव बीरेंद्र सिंह की सरकार में पहले डिप्टी सीएम थे. हालांकि यह सरकार चंद दिनों तक ही चल पाई थी.
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FIRST PUBLISHED : February 3, 2024, 16:28 IST