डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छी खबर ! शुगर की ये दवा कर सकती है कैंसर से बचाव, रिसर्च में खुलासा

हाइलाइट्स

ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाली दवा GLP-1 RAs कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा कम कर सकती है.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार कोलोरेक्टल कैंसर दुनियाभर में लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है.

Diabetes Medicine & Colorectal Cancer: भारत में करोड़ों की संख्या में लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं. यह बीमारी तेजी से फैल रही है और अगले कुछ दशकों में यह महामारी की तरह फैल सकती है. यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें मरीज का ब्लड शुगर तेजी से बढ़ जाता है और शरीर के अन्य हिस्सों को डैमेज करने लगता है. अत्यधिक शुगर लेवल नर्व भी डैमेज करने लगता है. ऐसे में लोगों को ब्लड शुगर कंट्रोल रखने की दवाएं दी जाती हैं, जिनमें मेटफॉर्मिन सबसे ज्यादा पॉपुलर है. जिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल दवाओं से कंट्रोल नहीं होता, उन्हें इंसुलिन की डोज दी जाती है. डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए दुनियाभर में कई तरह की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि शुगर की एक दवा को लेकर एक हालिया रिसर्च ने सभी को चौंका दिया है.

अमेरिका के ओहियो स्थित केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की नई रिसर्च में चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की मानें तो डायबिटीज कंट्रोल करने वाली दवा GLP-1 RAs लेने से कोलोरेक्टल कैंसर का खतरा कम हो सकता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि शुगर के मरीजों को सबसे ज्यादा दी जाने वाली एंटीडायबिटिक दवा मेटफॉर्मिन और इंसुलिन की अपेक्षा GLP-1 RAs दवा कैंसर के खतरे को कम करने में सबसे ज्यादा असर पाई गई है. ग्लूकागन लाइक पेप्टाइड 1 रिसेप्टर एगोनिस्ट ड्रग को शॉर्ट में GLP-1 RAs कहा जाता है. इस दवा को इंजेक्शन के जरिए शरीर में इंजेक्ट किया जाता है और टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

GLP-1 RAs दवा को ब्लड शुगर कंट्रोल करने, इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाने और मोटापे को कंट्रोल करने में असरदार माना जाता है. हालांकि अब इसे कोलोरेक्टल कैंसर से बचाने में भी कारगर माना जा रहा है. यह दवा मोटापे से जूझ रहे डायबिटिक लोगों पर भी उतनी ही असरदार साबित हुई, जितनी कम वजन वाले मरीजों पर थी. कोलोरेक्टल कैंसर सबसे जानलेवा और कॉमन कैंसर माना जाता है. डब्ल्यूएचओ (WHO) के अनुसार कोलोरेक्टल कैंसर सबसे कॉमन कैंसर में से एक है और यह हर साल लाखों लोगों को मौत के घाट उतार देता है. साल 2020 में विश्व में इस कैंसर के 19 लाख मरीज सामने आए थे, जिनमें से 9.30 लाख लोगों की मौत हो गई. इसे सबसे खतरनाक बीमारियों में शुमार किया जा सकता है. 50 या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को इसका खतरा अधिक होता है.

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