राहुल दवे/ इंदौर : आज के समय डायबिटीज के मरीज तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. इस बीमारी को लेकर अनेक लोग शक्कर का रोग समझते हैं. इसके चलते इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं. साथ ही बीमारी को लेकर कई तरह की भ्रांतियां भी मरीजों में है. इसके कारण अनेक मरीज समय पर इलाज शुरू नहीं कराते और बीमारी गंभीर होती जाती है.
यह कहना है कि टोटल डायबिटीज हार्मोन इंस्टीट्यूट के मुख्य एलोपैथोलॉजिस्ट डॉ. सुनील एम जैन का. डॉ. जैन ने डायबिटीज की बीमारी को लेकर अपने अनुभव साझा करते हुए इस गंभीर रोग से बचाव और इसकी भ्रांतियां को लेकर अनेक जानकारी देते हुए बताया कि डायबिटीज को लेकर कोई लक्षण मरीजों में दिखाई नहीं देते हैं, इसके कारण अनेक मरीजों में इस बीमारी को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है. इससे वह समय पर अपना इलाज शुरू नहीं कर पाते हैं.
इसुंलिन को लेकर भी है भ्रांति
डॉ. जैन के मुताबिक डायबिटीज में लगने वाले इंसुलिन को लेकर भी भ्रांति है कि इसे हमेशा फ्रिज में ही रखना है, जबकि ऐसा नहीं है. मरीजों के लिए इंसुलिन इलाज है, लेकिन अधिकांश मरीज या तो लेते नहीं है या फिर इंसुलिन लेने से कतराते हैं.
कई बीमारियां होती हैं साथ
डायबिटीज का नाम सुनते हैं ही सबसे पहले यही ख्याल आता है कि बस शक्कर नहीं खाना है। डॉ. जैन बताते हैं कि यह केवल शुगर का रोग नहींं है. इसमें कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर सहित अन्य कई बीमारियां रहती है. इन सभी से बचाव करके ही हमल डायबिटीज से जंग जीत सकते हैं.
पेनक्रियाज की कैपेसिटी में परमानेंट चेंज
डायबिटीज के मरीज में दस-पंद्रह साल पहले से परिवर्तन होने लगते हैं. लेकिन लोग भ्रांतिवश डायबिटीज चेक नहीं कराते हैं, क्योंकि उन्हें तकलीफ नहीं होती है. डॉ. जैन के मुताबिक डायबिटीज होते-होते पेनक्रियाज की कैपेसिटी में एक परमानेंट चेंज आ चुका होता है और इस गंभीर बीमारी के दुष्परिणम भी सामने आने लगते हैं. लोग चाहते हैं यह बीमारी जड़् सेमिट जाए, इसके लिए कई दवाइयां चूर्ण पाउडर प्रयोग करते रहते हैं.
सबका एक साथ उपयोग
डायबिटीज होने के बाद हेल्दी इटिंग, वेरीगुड लाइफ स्टाइल और दवाइयां इसुंलिन सिस्टम का जब एक साथ उपयोग नहीं करेंगे तो कैसे इलाज होगा? डॉ. जैन ने बताया कि इस बीमारी से बचाव के लिए जरूरी ये है कि डायबिटीज में भ्रांतियो से बाहर आकर इसका सही इलाज कराया जाए.
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FIRST PUBLISHED : October 5, 2023, 01:22 IST