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उन्होंने बताया कि कृष्ण भक्त बनने के बाद कई बार उनके घरवालों ने उन्हें ढोंगी बाबाओं के पास झाड़-फूंक के लिए ले गए. जब उधर बात नहीं बनी तो psychiatrist के पास ले गए जहां मुझे डिप्रेशन की कई दवाएं दी गयी, लेकिन मैं किसी भी तरह से डिप्रेशन का मरीज नहीं था. मुझे जबर्दस्ती दवाएं खिलाई गईं. मैं बार-बार बोलता था कि “अगर भूत चिपट जाए तो उसका इलाज है, लेकिन नंद का पूत चिपट जाए तो उसका कोई इलाज नहीं है”, फिर भी मुझे जबर्दस्ती नमाज पढ़ने ले जाया जाता था. कई दिनों तक मुझे डिप्रेशन की दवा दी गई, जिसका बुरा असर पड़ा. इन दवाओं के कारण आज मुझे कई चीज़ें याद नहीं रहतीं. (instagram @ SHEEBUKRISHNADASOFFICIAL)