आशीष कुमार/पश्चिम चम्पारण. बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहा और वाल्मीकि नगर के कुछ क्षेत्रों में रहने वाले लोग शाम के 6 बजते ही अपने-अपने घरों के दरवाजों को बंद कर लेते हैं. दूर तक फैले समूचे गांव में शाम के 6 बजे ही अजीब सा सन्नाटा छा जाता है, जो सूरज की ढलती रौशनी के साथ लोगों के मन में अनचाहा डर पैदा करने लगता है. घरों में सहमे लोग बस ये प्रार्थना करते रहते हैं कि आज की रात सही से गुजर जाए. दिन में 3 बजे के बाद रात का खाना बनना शुरू हो जाता है, जो 5 बजे तक पूरा हो जाता है. शाम के 6 बजते-बजते रात का डिनर और जूठे बर्तनों की सफाई तक हो जाती है. आज हम आपको वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगलों के किनारे बसे लोगों की पूरी कहानी बताने वाले हैं.
बिहार का इकलौता टाइगर रिजर्व वाल्मीकि करीब 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यह अपनी सीमा नेपाल के चितवन नेशनल पार्क और परसा से साझा करता है. जैव विविधता से भरे इस जंगल में जानवरों की करीब 60, रेप्टाइल्स की 30 और पक्षियों की 300 प्रजातियों का बसेरा है. अगर यहां की खूबसूरती की बात जाए, तो इसकी तुलना कश्मीर से की जाती है. लेकिन जब बात रात की हो, तो ये जगह कितना भयावह हो सकता है, इसकी जानकारी जंगल में बसे स्थानीय लोगों ने हमें दी. बगहा-2 प्रखंड के कदमहिया गांव की रहने वाली सुमन देवी बताती हैं कि शाम के 6 बजते ही यहां हर घर के दरवाजे बंद होने लगते हैं. इसके बाद दरवाजों पर आग की लपटें उठने लगती है. इसका कारण जंगल में रहने वाले भयावह जानवरों का गांवों की तरफ रुख है. दरअसल, अंधेरा होते ही बाघ, तेंदुआ, लकड़बग्घे, भेड़िए और स्लॉथ बियर जैसे जानवर शिकार की तलाश में भटकने लगते हैं.
अंधेरा होते ही घूमने लगते हैं जानवर
बगहा-2 प्रखंड के ही दरूवा बारी गांव निवासी रामावती देवी बताती हैं कि आसान शिकार की तलाश में जानवर घरों के अंदर तक चले आते हैं. दरअसल, गांव के करीब हर घर में गाय, भैंस और बकरी जैसे मवेशियों का पालन होता है. इन मवेशियों की गंध भूख से बेचैन जानवरों को अपनी तरफ खींचने लगती है. ऐसे में ये जानवर अक्सर घरों के दरवाजों तक पहुंच जाते हैं. कई बार तो स्थानीय लोगों को भी उनका शिकार बनना पड़ता है. साल 2022 में वीटीआर क्षेत्र में ही एक बीमार बाघ ने 9 लोगों को अपना शिकार बना लिया था. स्थानीय निवासी दशरथ बताते हैं कि एक बार उनकी बकरी को एक विशालकाय अजगर ने उनके सामने ही निगलना शुरू कर दिया. बचाव करने तक बकरी मर चुकी थी. जबकि, सुमन देवी बताती हैं कि पिछले महीने ही उनके घर में तेंदुआ घुस आया था, जिसने एक बकरी को कई दिनों से निशाना बना रखा था. ऐसी घटनाओं से बचने के लिए स्थानीय लोग 6 बजते ही अपने-अपने घरों की कुंडी लगा लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : February 10, 2024, 13:05 IST