देश की राजधानी दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, सभी पहाड़ी इलाकों समेत पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. इससे बचने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं. घर के अंदर तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए अक्सर लोग हीटर, ब्लोअर, अंगीठी जलाते हैं. जहां ये सभी उपाय गर्माहट का अहसास कराते हैं. वहीं, कई बार यही चीजें मौत का कारण भी बन जाती हैं. दिल्ली के द्वारका इलाके में बुधवार को ठंड से बचने के लिए जलाई गई अंगीठी एक परिवार के लिए जानलेवा साबित हुई. घटना में दम घुटने से पति-पत्नी की मौत हो गई, जबकि उनका दो महीने का बच्चा बाल-बाल बचा.
दिल्ली पुलिस ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मानव और नेहा दिल्ली में मजदूरी करके गुजर-बसर करते थे. उनका परिवार द्वारका में एक कमरे के सेट में रहता था. उन्होंने कड़ाके की ठंड से बचने के लिए अंगीठी पर भरोसा किया, जो उनके लिए जानलेवा बन गई. हालांकि, जब बच्चे को धुएं के कारण ज्यादा पेरशानी हुई तो उसने जोर-जोर से रोना शुरू कर दिया. उसकी आवाज सुनकर पड़ोसियों की नींद खुली. काफी देर तक खटखटाने पर भी जब दरवाजा नहीं खुला तो वे खिड़की तोड़कर घर में घुस गए. उन्होंने देखा कि दंपति फर्श पर बेहोश पड़े थे. सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची. दंपति और बच्चे को तुरंत अस्पताल भेजा गया. डॉक्टर्स ने दंपति को मृत घोषित कर दिया, जबकि बच्चा सुरक्षित है.
पुलिस ने बताया कि अंगीठी बंद कमरे में जलाई गई थी. इसमें वेंटिलेशन की कोई व्यवस्था नहीं थी. जलती अंगीठी के कारण दंपति का दम घुट गया. फॉरेंसिक टीम के मुताबिक, धुएं के कारण कमरे में रंगहीन और गंधहीन गैस कार्बन मोनोऑक्साइड घातक स्तर तक जमा हो गई थी. ऐसी ही एक घटना दो सप्ताह पहले हुई थी. दरअसल, दो सप्ताह पहले 36 साल के एक व्यक्ति ने ठंड से बचने के लिए कमरे में आग जलाई थी. आग कमरे में फैल गई और व्यक्ति की जलने से मौत हो गई. डॉक्टरों के मुताबिक, पहले कमरे में कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के कारण व्यक्ति का दम घुटा. इससे उसे आग लगने का अहसास ही नहीं हुआ.
कोयले या लकड़ी की अंगीठी जलाने से कमरे में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है.
बंद जगहों पर अंगीठी के नुकसान क्या हैं?
ये देश की राजधानी की सिर्फ दो घटनाएं हैं. हर साल जब कड़ाके की ठंड पड़ती है तो ऐसी दर्जनों घटनाएं सामने आती हैं. ठंड के मौसम में अंगीठी, हीटर या ब्लोअर जलाना बहुत ही आम बात है. इससे गर्माहट जरूर रहती है, लेकिन जरा सी लापरवाही दम घोट सकती है. बता दें कि कोयले या लकड़ी की अंगीठी जलाने से कमरे में ऑक्सीजन की कमी, सांस लेने में दिक्कत, सांस की बीमारियां, त्वचा से जुड़ी बीमारियां और सिर दर्द की समस्या हो सकती है. इसके अलावा आपकी आंखों को भी नुकसान हो सकता है. बच्चों और पालतू जानवरों के सीधे संपर्क में आने पर जलने का खतरा भी बना रहता है. अगर कमरे में वेंटिलेशन की सही व्यवस्था नहीं है तो अंगीठी ही नहीं हीटर और ब्लोअर भी घातक साबित हो सकते हैं.
कार्बन मोनो,और डाइऑक्साइड में अंतर
अगर तेल, कोयला या लकड़ी पूरी तरह से ना जले और धुआं बनने लगे तो कार्बन मोनोऑक्साइड गैस बनती है. वहीं, बंद जगह पर लगातार आग जलाने, ब्लोअर या हीटर चलाने के कारण वहां ऑक्सीजन धीरे-धीरे खत्म हो जाती है. फिर यही कार्बन डाइऑक्साइड में तब्दील हो जाती है.
अंगीठी जलाने से हो जाता है एस्फिंक्सिया
अंगीठी जलाने या हीटर, ब्लोअर चलाने पर वेंटिलेशन की उचित व्यवस्था ना हो तो कमरे में ऑक्सीजन कम होने लगती है. ऐसी जगहों पर मौजूद लोगों के शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई धीरे-धीरे कम होने लगती है. ऐसे में होने वाला एस्फिंक्सिया दिल, दिमाग और दूसरे हिस्सों में ऑक्सीजन की सप्लाई घटा देता है. जब दिल को खून की आपूर्ति कम होने लगती है तो दूसरे टिशू सही मात्रा में ब्लड पंप करने में असमर्थ होने लगते हैं. इससे दिल का गंभीर दौरा पड़ता है. सामान्य तौर पर ऐसे व्यक्ति को तुरंत इलाज मिलना चाहिए, लेकिन बंद कमरे में बेहोश पड़े या दिल के दौरे के शिकार व्यक्ति को इलाज मिलना संभव नहीं हो पाता और उसकी मौत हो जाती है.
बंद जगह पर ब्लोअर या हीटर जलाने से ऑक्सीजन खत्म हो जाती है और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है.
दम घुटने पर घबराएं ना, करें ये काम
कई बार लोग दम घुटने का अहसास होने पर घबरा जाते हैं. घबराहट में सांसें और धड़कन तेज हो जाती है. ऐसे में सांस लेना मुश्किल हो जाता है और बेहोशी छाने लगती है. अगर ऐसा हो तो उस जगह से फौरन खुली जगह चले जाना चाहिए. बता दें कि किसी जगह पर कार्बन मोनोऑक्साइड ज्यादा है तो आपको आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, चक्कर, मितली और सिरदर्द जैसी समस्याएं होने लगेंगी. समस्या ज्यादा महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. वहीं, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, स्किन एलर्जी की समस्या वाले लोगों के साथ ही बुजुर्ग और बच्चों को अंगीठी से दूर ही रहना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : January 12, 2024, 16:15 IST