ठंड में क्यों बढ़ जाता है बुजुर्गों में अवसाद का खतरा, क्या हैं बीमारी के लक्षण, डॉ. अरुणा ब्रूटा ने बताए मूड ठीक करने के तरीके

Depression elderly in winter: सर्दी अपने साथ कई मुसीबतों को लेकर आती है. खासतौर पर बुजुर्गों के लिए. वैसे तो ठंड बुजर्गों के लिए कई तरह से घातक है, लेकिन इस मौसम में अवसाद होने का खतरा सबसे अधिक रहता है. यही वजह है कि सर्दियों में हर साल अवसादग्रस्त बुजुर्गों की संख्या बढ़ जाती है. डिप्रेशन का सबसे बड़ा कारण, ठंड में बुजुर्गों का एक कमरे तक सीमित हो जाना. दूसरा ठंड के दिनों में शरीर को धूप कम मिलना. हालांकि, इस तरह की दिनचर्या से यह परेशानी कम उम्र के लोगों को भी हो सकती है. ऐसे में जरूरी है कि अपना और घर के बुजुर्गों का खास ख्याल रखें. अब सवाल है कि सर्दियों में अवसाद का खतरा बुजुर्गों में अधिक क्यों? क्या है इस बीमारी का कारण, लक्षण और मूड ठीक करने के तरीके? इस बारे में विस्तार से बता रही हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अरुणा ब्रूटा-

ठंड में बुजुर्गों को अवसाद का खतरा अधिक क्यों?

प्रो. अरुणा ब्रूटा के मुताबिक, अवसाद में जाने के कोई एक-दो कारण नहीं, कई कारण हो सकते हैं. हालांकि, सर्दी के मौसम में अवसाद में जाने की समस्या सबसे ज्यादा बुजुर्गों में देखी जाती है. दरअसल, सर्दी शुरू होते ही बुजुर्गों को या तो एक कमरे तक सीमित कर दिया जाता है या फिर वो खुद हो जाते हैं. ऐसे में ऑक्सीजन की कमी और शरीर का ब्लड फ्लो बेहद स्लो हो जाता है. साथ ही उनमें हीन भावनाएं पैदा होने लगती हैं, जोकि अवसाद का कारण बन जाती हैं. इसके अलावा, सर्दियों में धूप कम मिलने से शरीर की जैविक घड़ी प्रभावित होती है और व्यक्ति डिप्रेशन के लक्षण महसूस करने लगता है. इससे शरीर में खुशी पैदा करने वाले हार्मोन सिरेटोनिन का स्तर भी कम हो जाता है. बता दें कि, सिरेटोनिन हार्मोन कम होना विटामिन डी की कमी का कारण है.

किसी से भी बात करना नहीं करते पसंद

डॉ. अरुणा ब्रूटा ने बताया कि बुजुर्गों का अवसाद किशोर और युवाओं से एकदम अलग होता है. युवा अवसाद में जाने पर तमाम तरह की उदासी भरी बातें करते हैं, जबकि अवसादग्रस्त बुजुर्ग किसी से बात करना ही पसंद नहीं करते हैं. हालचाल पूछने पर हमेशा यही बोलते हैं कि मैं ठीक हूं. यहां तक कि वे इस बारे में डॉक्टर को भी बताना पसंद नहीं करते हैं.

वृद्धों में अवसाद में जाने के लक्षण

– किसी काम में रुचि न होना.
– अचानक से शांत हो जाना.
– खाना-पीना कम हो जाना.
– देर तक एक जगह बैठे रहना.
– जल्द थकान महसूस होना.
– ठीक से नींद न लेना जल्दी जाग जाना.
– सामाजिक मेलजोल में कमी होना.

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अवसाद से बचाने के आसान तरीके

डॉ. अरुणा ब्रूटा के अनुसार, ठंड बुजुर्गों के लिए जानलेवा हो है इसलिए खुद या घर के वृद्धों का खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है. घर से बाहर भी कम से कम निकलना चाहिए. लेकिन, अवसाद से बचने के लिए कुछ काम जरूर कराना चाहिए. जैसे- पार्क में टहलना, एक कमरे से दूसरे कमरे में जाना, घर के कामों में संभवनुसार हाथ बटाएं, बच्चों के साथ खेलना, किसी भी काम को छोटा न समझें, खुद में हीनभावना न होने दें आदि चीजें जरूर करनी चाहिए. ऐसा करने से मन प्रसन्न रहगा. हालांकि, घर वालों को उनके बदलते व्यवहार पर नजर जरूर रखनी चाहिए.

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अवसाद में ऐसे करें मूड को बेहतर

– दोपहर दो बजे से पहले धूप में बैठें.
– नियमित आधा घंटे व्यायाम करें.
– खाने में केले, पपीता, नाशपाती, अनानास जैसे फल खाएं.
– दूध और अंडे खाएं.
– ज्यादा चीनी, ट्रांस, फैड, सोडियम और ज्यादा कैलोरी वाले भोजन से बचें
– हंसने के बहाने ढूंढें.

Tags: Depression, Health News, Lifestyle

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