टीचर विभागीय अधिकारी का मानेंगे आदेश या DM का?बिहार में स्कूल बंद पर छिड़ी जंग

उधव कृष्ण. पटना. मौसम की सर्द तल्खियां सूबे में बरक़रार है. एक तरफ पटना में शिमला जैसी शीतलहर चलने से जनता त्रस्त है. तो वहीं, दूसरी तरफ प्रशासनिक अमले में पत्रों का कोल्ड वॉर छिड़ा हुआ है. शिक्षक भी कंफ्यूज हो गए हैं कि वे आखिर शिक्षा विभाग के आदेश को मानें या फिर जिला दंडाधिकारी के आदेश को शिरोधार्य करें ?

जानिए क्या है पूरा मामला
कड़ाके की ठंड को लेकर शिक्षा विभाग व डीएम आमने-सामने हो गए हैं. पत्राचार अब अधिकारों की व्याख्या तक पहुंच गया है. पेंच तो आज 23 जनवरी के अवकाश को लेकर फंस गया है. डीएम ने 23 जनवरी तक सरकारी व निजी विद्यालयों समेत कोचिंग संस्थानों तक को आठवीं तक की कक्षाएं स्थगित करने का निर्देश दे रखा है. इधर, माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने 22 जनवरी को जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेजे पत्र में 23 जनवरी से स्कूल खोलने को कहा है. जिसमें उल्लेख है कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बावजूद जिलाधिकारी ने स्कूलों को बंद करने की अनुमति नहीं ली. इसको देखते हुए 23 जनवरी से सभी स्कूलों को खोलने के निर्देश हैं.

जिले में दंडाधिकारी करेंगे फैसला या सचिव
वहीं, पटना डीएम डा. चंद्रशेखर सिंह ने अपने पत्र में स्पष्ट कहा है कि माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से जारी 23 जनवरी से आठवीं तक के स्कूलों को खोलने का आदेश मान्य नहीं होगा. जिला दंडाधिकारी का पूर्व आदेश ही इस मामले में प्रभावी होगा. इसके तहत मंगलवार यानी आज भी आठवीं तक की कक्षाएं सरकारी व निजी स्कूल, कोचिंग केंद्र सहित बंद ही रखे जाएंगे.

क्या कहते हैं शिक्षक संघ के नेता
बिहार राज्य प्रथिमक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार कहते हैं कि ये बड़ी ऊहापोह वाली स्थिति उत्पन्न हो गई है. अगर पटना जिला के शिक्षक शिक्षा विभाग का आदेश मानते हैं और स्कूल में बच्चों को आने देते हैं तो शिक्षकों पर धारा-144 के तहत कार्रवाई भी हो सकती और अगर नहीं मानते हैं तो विभाग की तलवार उनपर लटकेगी.

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क्या कहते हैं जानकार
प्रसिद्ध शिक्षाविद् और 11 रुपए में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करवाने के लिए प्रसिद्ध गुरु रहमान कहते हैं कि भले रैंक में अपर मुख्य सचिव एक डीएम से सीनियर हो, पर जब बात जिले में कानून और विधि व्यवस्था को लागू अथवा निरस्त करने की आती है तो जिले का डीएम जो दंडाधिकारी के रूप में कार्य करता है वो अपनी सम्मति से नियमों को लागू, निरस्त अथवा विस्तारित कर सकता है.

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वहीं, बताते चलें कि महामारी एक्ट के सेक्शन 3 के अनुसार अगर कोई इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करता है या सरकारी निर्देशों व नियमों को तोड़ता है, तो उसे दंडित किया जा सकता है. किसी सरकारी कर्मचारी के ऐसा करने पर भी यह धारा लगाई जा सकती है. इस कानून का उल्लंघन करने या कानून व्यवस्था को तोड़ने पर दोषी को कम से कम एक महीने की जेल या 200 रुपये जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.

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क्या कहते हैं शिक्षक
कई शिक्षकों की माने तो उन्हें अन्य दिनों की तरह आज भी स्कूल जाना है. ऐसे में अगर बच्चे स्कूल पहुंच जाते हैं तो उनके लिए बड़ी मुसीबत हो सकती है. जिला दंडाधिकारी के आदेश के उल्लघंन में उन पर कार्रवाई भी की जा सकती है. हालांकि, कई जिलों जहां डीएम ने छुट्टी विस्तारित नहीं की है वहां के शिक्षक राहत का सांस ले रहे हैं.

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