ग्वालियर. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में शिक्षक भर्ती विकलांग सार्टिफिकेट फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है. ये फर्जीवाड़ा मध्य प्रदेश में 2018 में हुई शिक्षक भर्ती से जुड़ा हुआ है. इस भर्ती में ग्वालियर-चंबल अंचल से पास हुए 184 लोग दिव्यांग कोटे से शिक्षक बने थे. शिकायत मिलने के बाद इन 184 शिक्षकों के दिव्यांग सार्टिफिकेट की जांच कराई गई. स्वास्थ विभाग ने जब इनकी दिव्यांगता जांची तो 66 शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी निकले हैं. इस जांच रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग ने ग्वालियर के मुरार थाने मे FIR दर्ज कराई.
मुरार थाना में 66 शिक्षक पर धोखाधड़ी और कूट रचना करने का केस दर्ज़ किया गया है. आपको बता दें कि यह शिक्षक करीब 4 महीने पहले ही ज्वॉइन हुए है. दरअसल, 2018 में शासन ने शिक्षक भर्ती निकाली थी. भर्ती को लेकर विवाद हुआ था, जिसके चलते चयनित शिक्षकों की जॉइनिंग अटक गई थी. करीब 4 महीने पहले इन सभी लोगों को नियुक्ति दी गई है.
66 प्रमाण पत्र का रिकॉर्ड नहीं
शिक्षक भर्ती परीक्षा में दिव्यांग कोटे के आरक्षण का फायदा उठाकर बड़ी संख्या में दिव्यांग चयनित हुए थे. इस फर्जीवाड़े के उजागर होने की शुरुआत मुरैना से हुई थी, जहां सबसे पहले फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र पकड़ाए थे. इस घटना के बाद लोक शिक्षक संचनालय ने प्रमाण पत्रों की जांच कराने का फैसला लिया था. ग्वालियर-चंबल अंचल के 184 दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जानकारी ग्वालियर भेजी गई थी, जिसमें ग्वालियर के 84 और 99 प्रमाण पत्र अंचल के थे.
इसके बाद शिक्षा विभाग ने इन प्रमाण पत्र की जांच के लिए ग्वालियर कलेक्टर के जरिए जिला अस्पताल से चेक कराए गए. यहां जब दिव्यांग प्रमाण पत्रों की जांच की गई तो स्वास्थ विभाग ने रिपोर्ट दी थी कि 66 प्रमाण पत्र का कोई रिकॉर्ड नहीं है. इन पर जो साइन और सील लगे हैं, उनका भी मिलान नहीं हो रहा है. इसके बाद शिक्षा विभाग मुरार ऑफिस से कनिष्ठ लेखा परीक्षक प्रदीप वाजपेई ने एक लिखित आवेदन ग्वालियर के मुरार थाना में अगस्त में दिया था. उस पर जांच करने के बाद मामले 66 शिक्षकों पर फर्जी प्रमाण पत्र का उपयोग कर शिक्षक भर्ती परीक्षा में नियुक्ति लेने पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है.
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FIRST PUBLISHED : September 16, 2023, 17:32 IST