रविंद्र कुमार/झुंझुनूं. झुंझुनूं के भड़ौंदा स्थिति वृंदावन धाम में तीन दिवसीय जन्माष्टमी उत्सव चल रहा हैं. पहली बार मंदिर को बनारस के कलाकारों द्वारा मंदिर को फूलों और फलों से सजाया जा रहा है.वनस्पति बचाने का संदेश देने के लिए जंगल थीम रखी गई है.ये ही बनारस के कलाकार काशी विश्वनाथ जैसे बड़े मंदिरों में आयोजनों पर फूलों से अलग-अलग थीम के जरिए मंदिरों को सजाते है.जो इस बार भड़ौंदा स्थित वृंदावन धाम आएं हैऔर मंदिर को सजाएंगे.
आयोजन समिति के कैलाश सुलतानिया ने कहा कि इस तीन दिवसीय आयोजन में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आएंगे. जो तीन दिनों तक चलने वाले कार्यक्रमों में परिवार के साथ उत्साह से हिस्सा लेंगे.पहला दिन आज छह सितंबर को सुबह पंचकोसीय परिक्रमा हुई.जिसमें बाबा पुरूषोत्तमदास महाराज के पालकी में बैठाकर वृंदावन की परिक्रमा करवाई गई. इसके बाद शाम को चिड़ावा में बिहारीजी मंदिर से लेकर कल्याण प्रभु की परिक्रमा देते हुए वापिस मंदिर तक की शोभायात्रा निकाली जाएगी. आठ सितंबर को पंचपेड़ पर छप्पन भोग की झांकी सजाई जाएगी.
देश के कोने-कोने से आएंगे श्रद्धालु
आपको बता दे कि यहां पर स्थित पांच पेड़ सैकड़ो साल पुराने है. जब यहां पर पुरुषोत्तम दास जी महाराज ने तपस्या की थी. तब से अब तक यह वृक्ष आज भी एकदम से हरा भरा रहता है. बताया जाता है कि पुरुषोत्तम दास जी वृंदावन में रहते थे उनके ओजस्वी और पूर्ण ज्ञानी होने की वजह से काफी लोग वहां पर उनसे ईर्ष्या करने लग गए थे. उसके बाद उन्होंने भारत भ्रमण किया. भ्रमण करते हुए एकांत जगह की खोज में वह निकले तो उन्हें कटली नदी के किनारे पर स्थिति यह पेड़ नजर आया. जहां पर उन्होंने अपनी तपस्या की. पुराने समय में जब पुरुषोत्तम दास जी यहां पर सुबह शाम आरती किया करते थे. आरती के दौरान शंख वादन की समय एक गाय इस पेड़ के नीचे आकर खड़ी होती थी.बाबा उसे गाय के नीचे मग या बाल्टी रख देते थे तो वह अपने आप ही दूध से भर जाती थी. यह मान्यता है कि इस पेड़ के नीचे मांगी हुई मन्नत पूरी होती है.इसलिए वहां पर हर साल लाखों की संख्या में भक्ति पेड़ के नीचे आकर अपनी मन्नत मांगते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 06, 2023, 13:29 IST