शशिकांत ओझा/पलामू.जहां आस्था की बात होती है वहां पौराणिक मान्यताएं और कथाएं उभर कर सामने आते है. इन्ही आस्था और मान्यता से जुड़ा झारखंड में एक मंदिर है.जहां अर्ध रात्रि में पायल की आवाज आती है. पल्ला जिले के छः मुहान चौक पर स्थित श्री श्री मंगला काली मंदिर अपने आस्था और मान्यता से पलामू का विशेष धरोहर है.
मान्यता है की अर्धरात्रि में माता मंदिर में विचरण करती है. इस मंदिर में पुजारी द्वारा माता भगवती का स्वरूप छाया रूप में देखा गया है. मंदिर के प्रधान पुजारी सुरेश चंद्र पांडेय ने कहा कि इस मंदिर में हर दिन अर्ध रात्रि में पायल की आवाज आती है. जो माता भगवती के चलने की आवाज है.जो इस मंदिर की सबसे विशेष बात है.यहां शक्ति पीठ के नाम से बिहार, छत्तीसगढ़ और यूपी से श्रद्धालु पूजन करने आते है.
मंदिर में अर्ध रात्रि को आती है पायल की आवाज
इस मंदिर के इतिहास का सैकड़ों वर्ष पुराना है. सन 1853 में बांग्लादेश की महिला चारु देवी द्वारा यहां पूजन प्रारंभ किया गया.जिसके बाद लगभग 40 वर्ष पहले सतेंद्र चंद्र पांडेय स्वरा शिष्य के रूप में पूजा की जाती है. मंदिर के गर्भ गृह में माता भगवती प्राकृतिक रूप में मौजूद है.जहां पिरोहितो द्वारा पूजा की जाती है.गर्भ गृह में भगवान शंकर, गणेश और मां दुर्गा की प्रतिमा है.जिसकी पहले से पूजा की जाती थी.धीरे धीरे इस मंदिर का विकास 1953 और 1980 में किया गया.जिसके बाद मंदिर विशाल रूप ले लिया. इस मंदिर में पूरी से शंकराचार्य द्वारा मंदिर में भगवान शंकर, माता दक्षिणेश्वर काली, मंगला काली, और माता भगवती के साथ सभी देवी देवताओं की स्थापना की गई.
काली पूजा पर दिया जाता है बली
इस मंदिर में काली पूजा पर प्रधान पुजारी द्वारा अर्ध रात्रि में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है.जो की 12 बजे रात्रि में प्रारंभ होता है. इस दौरान भतूआ और ईख की बलि दी जाती है.वहीं मां को भोग के रूप में नैवेद्य, खीर, सिंघाड़ा का हलवा, 56 भोग का भोग लगाया जाता है. वहीं पूजा के अगले दिन मंदिर में भंडारा का आयोजन होता है. जिसमें सबों को खिचड़ी खिलाया जाता है.
मंगला,मंगली के कट जाते है दोष
मंदिर के प्रधान पुजारी सुरेश चंद्र पांडेय ने लोकल18 को से कहा कि इस मंदिर की मान्यता और परंपरा काफी प्राचीन है. यहां मुख्य रूम से विराजमान मां दक्षिणेश्वर काली जो की मंगला काली के नाम से प्रसिद्ध है. जिनके दर्शन मात्र से लड़के और लड़कियों की कुंडली में अष्टमेश मंगला, मंगली का दोष कट जाते है.जिसका शास्त्र में प्रमाण है की सारा ग्रह कट जाता है.और सकुशल विवाह संपन्न होता है.इस मंदिर में श्रद्धालु द्वारा जोड़ा नारियल के साथ चुनरी चढ़ाया जाता है.विशेष पूजन में श्रद्धालुओं द्वारा मां के आभूषण चढ़ाए जाते है.
इन देवी देवताओं के है दरबार
इस मंदिर में माता दक्षिणेश्वर काली, मां मंगला काली और माता भगवती का मुख्य दरबार है. साथ में जगतदात्रिका, सप्तमात्रिका , शिवलिंग, राम सीता दरबार, माता शीतला दरबार, और पंचमुखी हनुमान दरबार है.इस मंदिर में राम कृष्ण परमहंस और श्रीमती सारदा देवी कि प्रतिमा स्थापित है. वहीं मंदिर के गर्भ गृह में पिंड की पूजा होती है. जो की प्राकृतिक रूप से देवी मां पिंड के रूप में प्रकट हुई है.इसके अलावा गर्भ गृह में मां दुर्गा और भगवान गणेश का दरबार है.
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FIRST PUBLISHED : November 10, 2023, 10:53 IST