झारखंड में यहां कई राज्यों के पहलवानों ने दिखाया करतब, अंदाज देख दंग रह गए लोग

रूपांशु चौधरी/हजारीबाग. पूर्व के समय में पहलवानी अधिकांश गांवों में देखने को मिलती थी. जमींदार, राजा महराज के दरबारों की पहलवान शान बढ़ाते थे. साथ ही कुश्ती, दंगल, पहलवानी के लिए ये पहलवान साल भर कसरत करते थे. पूर्व के समय सर्दियों में अक्सर कुश्ती, दंगल दिखाने के लिए पहलवान आया करते थे. लेकिन, बदलते दौर के साथ यह प्रथा खत्म होने के करीब है.

हजारीबाग के ग्वालटोली चौक पर स्थित महावीर मंदिर के प्रांगण में गुरुवार शाम ये पहलवान अपना करतब दिखा रहे थे. इसमें देश के कई हिस्से के पहलवान भाग लेने आए थे. इसमें बिहार, पंजाब और हरियाणा राज्य के पहलवान शामिल थे. ये पहलवान यहां मुग्दर, गदा और पहलवानी के विभिन्न पैंतरे दिखा रहे थे. इस कार्यक्रम के आयोजक भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमरदीप यादव रहे.

झारखंड से भी निकलें पहलवान
अमरदीप ने बताया कि पहलवानी भारत की सबसे पुरानी कला है. भारत से पहलवान विश्व स्तर में देश का नाम सदैव रोशन करते आए हैं. यहां कार्यक्रम आयोजित करने के पीछे का मुख्य मकसद पहलवानी का विकास था. जिस प्रकार पहलवानी में हरियाणा, पंजाब का नाम आता है. हमारा प्रयास है कि आगे आने वाले समय में झारखंड से भी कई पहलवान निकलें.

पहलवानी सबसे बढ़िया कसरत
यहां पहलवानी का करतब दिखाने आए बिहार के दरभंगा के पहलवान सोनू बताते हैं कि वह 14 साल से कई राज्यों में जाकर पहलवानी लड़ रहे हैं. साथ ही पहलवानी के करतब दिखा रहे हैं. यहां हजारीबाग में वह पहली बार आए हैं. आगे बताया कि शरीर के विकास के लिए पहलवानी सबसे बढ़िया विकल्प है.

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