रांची. झारखंड के कई जिलों ब्रेन मलेरिया काफी तेजी से विकराल रूप धारण करते जा रहा है. इसके चलते स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ आम लोगों की भी चिंता बढ़ गई है. राज्य में मलेरिया का प्रकोप गोड्डा, पाकुड़ और पश्चिमी सिंहभूम जिले में सबसे ज्यादा है, जिसके चलते स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है साथ ही साथ एनआईएमआर की टीम भी रिसर्च कर रही है.
सरकारी आंकड़े पर नजर डालें तो 2018 में राज्य में करीब 57 हजार लोग इससे संक्रमित हुए थे, वहीं 2022 में यह आंकड़ा घटकर 19 हजार तक रह गया लेकिन इस समय सबसे जरूरत इसे रोकथाम करने की है, साथ ही इससे कैसे बचाव किया जाए इस पर फोकस करने की जरूरत है. यदि कोई व्यक्ति मलेरिया से पीड़ित है तो उसे तुरंत अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए या सहिया / एम०पी०डब्लू०/ ए.एन.एम. एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ता के सहयोग से मलेरियारोधी दवा की पहली खुराक खिलाते हुए अविलंब अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए.
मंटू कुमार टेकरीवाल जो कि गोड्डा के सिविल सर्जन हैं ने बताया कि यहां पहले से भी मलेरिया का प्रकोप रहा है. कुछ बच्चों की मौत हुई है लेकिन हम नहीं कह सकते है कि ये मौत मलेरिया से ही हुई है क्योंकि जब जांच ही नहीं हुई है तो मलेरिया से मौत की बात गलत है. मौत हुई है लेकिन मलेरिया से ही हुई है इसका कोई प्रमाण नहीं है. जहां जहां मलेरिया का प्रकोप है डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी कर रही है.
सीएस ने बताया कि गांव में जिसको भी बुखार है, हमारी टीम सबकी जांच कर रही है. हमलोगों ने दूसरी जगहों से भी दवा मंगवाई है ताकि दवा की कोई कमी नहीं हो. जो भी बच्चे सीरियस है उसे हमने भर्ती किया है. हमारी टीम ने 54 या 55 रोगी को भी ठीक किया है. सभी गांव में हमारी टीम सर्वे भी कर रही है और वहां उसका इलाज भी कर रही है.
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FIRST PUBLISHED : December 4, 2023, 13:53 IST