झारखंडः जिला प्रशासन ने दुर्गा पूजा समितियों को रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर नहीं बजाने को कहा

दुर्गा पूजा को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाने के लिए झारखंड के कई जिलों के प्रशासन ने आयोजन समितियों से रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर नहीं बजाने और पंडाल बनाने के लिए नायलॉन या सिंथेटिक कपड़े का उपयोग नहीं करने का आग्रह किया है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
रांची जिला प्रशासन ने समितियों के लिए 33 सूत्री दिशानिर्देश जारी किये हैं, जिनमें दुर्गा पूजा के दौरान रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक लाउडस्पीकर बजाने पर रोक भी शामिल है।
जिला प्रशासन ने अपने निर्देश में यह भी कहा कि ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए लाउडस्पीकर की आवाज 70 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए।
एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक भजन या गाने बजाने के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

विशेष परिस्थितियों में खोया-पाया या अन्य आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग कम आवाज में किया जा सकता है।’’
पंडालों के निर्माण में नायलॉन और सिंथेटिक कपड़ों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। निर्देश में कहा गया है कि पंडाल के अंदर या उसके पास आग बुझाने वाले उपकरण, पानी और सूखी रेत से भरी बाल्टियां और रबर के हाथ के दस्ताने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
रांची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने कहा कि पूजा समितियों को स्वच्छता, अग्नि सुरक्षा, सीसीटीवी कैमरे की स्थापना, बिजली वायरिंग, ध्वनि प्रदूषण मानदंड और नियंत्रण कक्ष से संबंधित कई दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और उम्मीद है कि वे इसके अनुसार पालन करेंगे।

अधिकारी ने कहा कि रांची के अलावा, हजारीबाग, देवघर, धनबाद और पूर्वी सिंहभूम जैसे अन्य जिलों ने भी उत्सव की अवधि को घटना-मुक्त बनाने के लिए पूजा समितियों के लिए विशिष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि राजधानी रांची के 75 पूजा पंडालों समेत राज्य में कुल 713 पूजा पंडालों की पहचान संवेदनशील के रूप में की गई है और उनके लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को शीर्ष अधिकारियों के साथ अगले सप्ताह से शुरू होने वाले दुर्गा पूजा उत्सव की तैयारियों की समीक्षा भी की थी।
उन्होंने अधिकारियों को आगामी त्योहारी सीजन के दौरान सुरक्षा, सफाई, बिजली आपूर्ति, यातायात प्रबंधन और आग से बचाव के पर्याप्त इंतजाम सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

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