झांसी के निजी अस्पतालों में आग लगी तो भगवान भरोसे होंगे मरीज, नहीं हैं फायर फाइटिंग के पर्याप्त इंतजाम

शाश्वत सिंह/झांसी: झांसी में मरीजों की इलाज का दावा करने वाले कई निजी अस्पताल खुद बीमारों जैसी स्थिति में हैं. इन निजी अस्पतालों में आने वाले मरीजों और तीमारदारों की सुरक्षा के जो इंतजाम होने चाहिए वह नाकाफी और बेकार हैं. अस्पतालों में अग्निशमन के जो इंतजाम होने चाहिए वह बेहद खराब स्थिति में हैं. फायर डिपार्टमेंट लगातार ऐसे अस्पतालों की जांच कर रहा है. जहां अग्निशमन के यंत्र खराब स्थिति में है उन्हें नोटिस देते हुए कार्रवाई की जा रही है.

गौरतलब है कि अस्पतालों को अग्निशमन विभाग द्वारा 20 मानकों को पूरा करने के बाद ही एनओसी दी जाती है. इसमें मुख्य रूप से अस्पताल के चारों ओर दमकल की गाड़ियों के जाने का रास्ता, 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले अस्पताल में स्प्रिंकलर सिस्टम, स्वचालित स्मोक डिटेक्टर और हीट डिटेक्टर सिस्टम, कंट्रोल पैनल, पंप और पंप रूम की व्यवस्था, आपातकाल की स्थिति में चार तरफ से निकास आदि शामिल हैं.

अस्पतालों में फायर फाइटिंग से जुड़े हुए इंतजाम अधूरे
झांसी के कई निजी अस्पतालों की जांच के दौरान फायर फाइटिंग से जुड़े हुए इंतजाम अधूरे और पुराने मिले. अस्पतालों में जो सामान आग को रोकने के लिए लगाया गया है या तो पुराना हो चुका है या फिर लगाया ही नहीं गया है. इसके साथ ही प्रवेश और निकासी के इंतजाम भी नहीं किए गए हैं. किसी इमरजेंसी की स्थिति में अगर लोगों को बाहर निकालने की जगह नहीं मिली तो काफी ज्यादा नुकसान भी हो सकता है. निजी अस्पतालों की स्थिति देखकर ऐसा लगता है की आग लगी तो मरीजों की सुरक्षा भगवान भरोसे ही होगी.

सभी अस्पतालों की जांच जारी
झांसी जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी राज किशोर राय ने बताया कि सभी अस्पतालों की जांच की जा रही है. पूर्व में कई ऐसे मामले सामने आए हैं. जहां पर अस्पताल में आग लगने की वजह से काफी ज्यादा नुकसान हुआ है. अस्पतालों को सख्त हिदायत दी जा रही है कि फायर फाइटिंग से जुड़े सभी इंतजाम दुरुस्त कर लें. अगर इसके बाद भी अस्पताल नहीं मानते शासन स्तर से ऐसे अस्पतालों को बंद करने की कार्यवाही का अनुरोध किया जाएगा.

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