ज्ञानवापी में पूजा के विरोध वाली याचिका पर सुनवाई पूरी, फैसला अगले हफ्ते

हाइलाइट्स

ज्ञानवापी में पूजा के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी
दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने फैसला सुरक्षित कर लिया

प्रयागराज. ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में वाराणसी जिला जज के पूजा की शुरुआत वाले आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई गुरुवार को पूरी हो गयी. सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने अपना जजमेंट रिजर्व किया. शाम 4 बजे जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने दोनों पक्षों को अपने चैम्बर में बुलाया है. कहा जा रहा है किसौर्ट आज ही अपना फैसला सुना सकता है.

ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी तहखाने में पूजा पर रोक की मांग वाली याचिका की सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में पांच कार्य दिवसों में हुई. इस दौरान हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन व विष्णु शंकर जैन ने बहस की. जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी व यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने बहस की. मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने व्यास जी तहखाने में पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने के जिला जज वाराणसी के वाराणसी के फैसले को चुनौती दी है.

हिंदू पक्ष की तरफ से दी गई ये दलील

व्यासजी तहखाने में पूजा अर्चना के खिलाफ दाखिल याचिका पर हुई सुनवाई में सबसे पहले वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने बहस की. उन्होंने तकरीबन 40 मिनट तक दलीलें पेश की. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के दाहिने हिस्से में तहखाना स्थित है। जहां पर हिंदू वर्ष 1993 तक पूजा कर रहे थे. ऑर्डर 40 रूल 1 सीपीसी के तहत वाराणसी कोर्ट ने डीएम को रिसीवर नियुक्त किया. उन्होंने कहा कि यह फैसला किसी तरह से मुस्लिमों के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता है. क्योंकि मुसलमान कभी तहखाने में नमाज नहीं पढ़ता था. कोर्ट ने जब वाराणसी डीएम को रिसीवर नियुक्त किया तो उन्होंने कोर्ट के आदेश का अनुपालन किया. सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि वाराणसी जिला कोर्ट ने डीएम वाराणसी को रिसीवर नियुक्त किया और विधिवत पूजा की इजाजत दी.

मुस्लिम पक्ष की तरफ से नकवी ने कही ये बात

इसके बाद मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी ने बहस की. नकवी ने कहा कि 151, 152 सीपीसी को हिंदू पक्ष ने सही ढंग से नहीं पेश किया. उन्होंने दलील दी की डीएम को रिसीवर नियुक्त करना वास्तव में हितों में विरोधाभास पैदा करना है. नकवी ने दलील दी की जिला जज के आदेश में बड़ी खामी है. उन्हें पूजा का अधिकार देने के पहले अपने विवेक का प्रयोग करना चाहिए था, क्योंकि व्यास परिवार ने अपने पूजा के अधिकार को काशी विश्वनाथ ट्रस्ट को ट्रांसफर कर दिया था तो उन्हे अर्जी दाखिल करने का कोई हक नहीं था. नकवी के कहा डीएम पहले से ही काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के पदेन सदस्य हैं तो उन्हें ही रिसीवर कैसे नियुक्त किया जा सकता है. हिंदू पक्ष को यह मानना चाहिए था कि डीएम ट्रस्टी बोर्ड का एक हिस्सा हैं. जिला जज कुछ चीजों को सुविधाजनक बनाना चाहते थे इसलिए उन्होंने ऐसा आदेश पारित किया. नकवी ने कहा किसी भी तहखाना का कोई उल्लेख दस्तावेजों में नहीं है. प्रासंगिक दस्तावेजों में किसी स्थान पर स्थित संपत्ति का सामान्य विवरण दिया गया है.

जिला जज के फैसले पर सवाल
नकवी ने पंडित चंद्रनाथ व्यास के वसीयत दस्तावेज का हवाला भी दिया. उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज में संपत्ति का कुछ विवरण दिया गया है, लेकिन सब कुछ नहीं है. वह शैलेंद्र कुमार पाठक, जितेंद्र कुमार पाठक और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट द्वारा निष्पादित दस्तावेज लगा रहे हैं. इसके बाद यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील पुनीत गुप्ता ने दलीलें पेश करते हुए कहा कि जिला जज ने अपने रिटायरमेंट के एक हफ्ते के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस की है. वह अपने जजमेंट को लेकर खुद अपनी पीठ थपथपा रहे हैं. ऐसे में उनके फैसले की मंशा पर सवाल उठाना गलत नहीं है.

विष्णु शंकर जैन ने कही ये बात
जबकि कोर्ट में मौजूद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि डीएम ने सिर्फ इसी मामले में कोर्ट के आदेश का पालन नहीं कराया है. बल्कि नमाज के दौरान मस्जिद परिसर में वजू का इंतजाम भी कराया था. उस वक्त मुस्लिम पक्ष ने कोई आपत्ति नहीं की थी. हाईकोर्ट ने पांच कार्य दिवसों में चली लम्बी सुनवाई के बाद सभी पक्षों की बहस पूरी होने पर जजमेंट रिजर्व कर लिया है. कोर्ट अब अगले हफ्ते अपना फैसला सुना सकती है.

ये है पूरा विवाद
गौरतलब है कि मुस्लिम पक्ष यानि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाराणसी जिला जज के 17 जनवरी और 31 जनवरी 2024 के आदेशों को चुनौती दी थी. जिला जज वाराणसी ने 17 जनवरी के अपने आदेश में जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी को रिसीवर नियुक्त कर दिया था. जबकि 31 जनवरी के आदेश में डीएम को व्यास जी तहखाने में पूजा अर्चना के लिए इंतजाम करने और पूजा अर्चना की इजाजत दे दी थी. मुस्लिम पक्ष ने याचिका में वाराणसी जिला जज के आदेश को अवैधानिक बताते हुए रद्द किए जाने की मांग की थी. मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा था कि अभी पोषणीयता का वाद तय नहीं हुआ है. इसलिए जिला जज का पूजा का अधिकार दिया जाने का फैसला पूरी तरह से गलत है.

Tags: Allahabad high court, Gyanvapi Masjid Controversy

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *