जूता फैक्टरी में लगी भीषण आग
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आगरा के रिहायशी इलाकों में जूता फैक्टरी में अग्निकांड की घटना पहली बार नहीं हुई है। गली-मोहल्लों में बिना फायर एनओसी 1 हजार से अधिक कारखाने चल रहे हैं। जूता चिपकाने में इस्तेमाल होने वाले ज्वलनशील केमिकल से कई बार आग लग चुकी है। इसके बावजूद पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही जारी है।
शहर के शाहगंज, जगदीशपुरा, लोहामंडी, एत्माद्दौला, ताजगंज, सदर, रकाबगंज, मंटोला क्षेत्र में छोटे-बड़े जूता कारखाने हैं। इन कारखानों में ज्वलनशील केमिकल का प्रयोग होता है। अग्निशमन विभाग का रिकॉर्ड देखें तो रिहायशी इलाके में किसी भी कारखाने की अनुमति नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र में रहने वाले कारखानों का ही रिकॉर्ड पुलिस और अग्निशमन विभाग के पास उपलब्ध है।
डीसीपी सोनम कुमार ने बताया कि रिहायशी इलाकों में कारखाना संचालित करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए अग्निशमन विभाग की टीम को निर्देशित किया जाएगा। टीम निरीक्षण करेगी। इसकी रिपोर्ट दी जाएगी। बिना एनओसी फैक्टरी संचालित होने पर नोटिस जारी किया जाएगा। जवाब मांगा जाएगा।
श्रीजी इंटरनेशनल की आग में 44 की मौत से भी नहीं लिया सबक
24 मई 2002 की सुबह जीवनी मंडी स्थित जूता कंपनी श्रीजी इंटरनेशनल में आग लग गई थी। इसमें श्रमिक फंस गए थे। 44 लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री पहुंचे थे। अग्निकांड की घटना की जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया। जूता कंपनियों के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए। मगर, सबक आज तक नहीं लिया गया है।
केमिकल से अग्निकांड में जा चुकी है जान
एक साल पहले मंटोला थाने के पास स्थित कारखाने में आग लगी थी। इसमें वाहन जल गए थे। कारखाने में केमिकल रखा हुआ था। इसी तरह नाई की मंडी के मीरा हुसैनी के पास कारखाने में आग लगी थी। रिहायशी इलाके में आग से कई लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा था। डेढ़ साल पहले छीपीटोला स्थित सब्जी मंडी में केमिकल के गोदाम में भीषण आग लगी थी। इस आग में एक युवक जिंदा जल गया था। दूसरे दिन लाश मिली थी। इसके अलावा जूता कारखानों में कई अग्निकांड सामने आ चुके हैं।