जीविका से जुड़कर लिया 50 हजार का कर्ज…शुरू की सब्जी की खेती, जानें आमदनी

नीरज कुमार/बेगूसराय. देश में खेती का ट्रेंड लगातार बदलता जा रहा है. बिहार भी इससे अछूता नहीं है. खासकर नगदी फसल की ओर किसानों का लगातार झुकाव बढ़ रहा है और बिहार में सब्जी की खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रही है. किसानों को कम समय और सीमित लागत में अच्छी कमाई भी हो रही है. अब खेती किसानी के क्षेत्र में महिलाएं भी बेहतर कर रही है.

इन्हीं महिलाओं में शामिल है बेगूसराय जिला के गंगा किनारे स्थित मटिहानी मटिहानी गांव की रहने वाली रंजना देवी. रंजना देवी ने दियारा इलाके में खेती में हाथ आजमाकर अपना भविष्य सुरक्षित करने का काम कर रही है. पिछले 11 वर्षों से कई प्रकार की सब्जियों की खेती कर रही है.

हालांकि, खेती करना रंजना के लिए आसान नहीं रहा है. पुरुष प्रधान समाज में हाथ में खुरपी लेकर निकलना महिला के लिए आसान नहीं होता है. रंजना को जब खेती के लिए कोई कर्ज देने के लिए तैयार नहीं हुआ तो जीविका से जुड़कर अपने परिवार के आर्थिक स्थिति सुधारने में लग गई.

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बच्चों को पढ़ाने के लिए खेती शुरू कर बनी समृद्ध महिला

बेगूसराय जिला मुख्यालय से 12 किमी की दूरी पर मटिहानी प्रखंड में बसा ग्राम पंचायत राज मटिहानी गंगा किनारे बसा है. यहां दियारा इलाके की रहने वाली 31 वर्षीय रंजना देवी ने हरी सब्जी को आमदनी का जरिया बनाया. उन्होंने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी. पति भी परंपरागत खेती से कुछ खास कमाई नहीं कर पा रहे थे. बच्चों को पढ़ाने के लिए पास में पैसे नहीं होता था.

50 हजार की सहायता राशि लेकर शुरू की खेती

वहीं पड़ोसियों को सब्जी की खेती में आमदनी प्राप्त करते हुए देखा तो सब्जी की खेती करने की ठान ली. लेकिन सबसे बड़ी समस्या पूंजी को लेकर थी. रिश्तेदारों से लेकर पड़ोसियों तक ने कर्ज देने से मना कर दिया. इसके जीविका सहारा बना और 50 हजार सहायता राशि लेकर सब्जी की खेती शुरू की. एक साल तक काफी संघर्ष करना पड़ा. इसके बाद आगे चलकर आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगी तो खुद की इलाके में पहचान भी बनी.

हर तीसरे दिन तीन से चार हजार की होती है कमाई

किसान दीदी रंजना के बताया कि लगभग 3 बीघा में परवल, बैगन, गोभी, भिंडी, टमाटर, हरी मिर्च, नेनुना, कद्दू की खेती कर रहे हैं. हर तीसरे दिन 3 से 4 हजार की सब्जी खेत से तोड़कर बिक्री कर लेते हैं. जिला मुख्यालय स्थित मंडी के कारोबारी खेत पर आकर सब्जी ले जाते हैं. वहीं जीविका के निदेशक राम निरंजन सिंह और बीसीएम मुन्ना ने बताया कि प्रखंड में महिला किसान की अगर बात की जाए तो इस इलाक़े में 11 हज़ार से भी ज्यादा महिला जीविका से जुड़कर खेती कर रही है और खुद को आर्थिक रूप से सबल बना रहीं है.

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