दीपक कुमार/बांका. जीविका ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्र की महिलाओं के वरदान साबित हो रहा है. जीविका से जुड़कर अनगिनत महिलाओं ने अपनी जिंदगी को संवारा है. जीविका से जुड़कर कई महिलाएं लखपित बन चुकी है. जीविका के छोटे से सहयोग से महिलाएं अपनी मेहनत से आत्मनिर्भरता बन रही है.
बांका में कई ऐसी महिलाएं हैं जो जीविका से जुड़कर बेहतर कमाई कर रही हैं. इन्हीं महिलाओं में से एक रजौन प्रखंड अंतर्गत पुनसिया गांव की रहने वाली विमला देवी हैं. विमला देवी ने जीविका से मदद से लेकर लहठी निर्माण का काम शुरू किया. विमला पिछले 10 वर्षो से लहठी बनाकर आस-पास के बाजार के अलावा पूरे जिले सप्लाई करती है. इससे सालाना अच्छी भी कमाई की जा रही है.
10 वर्ष से विमला बना रही है लहठी
विमला देवी ने बताया कि 10 साल पूर्व तक परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी. इसके बाद मायके चली गई और वहां जीविका से जुड़कर अपनी बचत खाते से लहठी बनाने का प्रशिक्षण लिया. इसके बाद पहले छोटे स्तर पर ही लहठी निर्माण का काम शुरू किया. पर्व-त्योहार और लग्न के सजीन में लहठी की डिमांड सर्वाधिक रहती है.
उन्होंने बताया कि लहठी बनाने के लिए रॉ मेटेरियल मुजफ्फरपुर से खरीद कर लाते हैं. लाई बनाने के लिए उसमें रजन, चपरा, लाई पाउडर को एक साथ मिलकर घानी तैयार करते हैं. घानी को अलग-अलग रंग देने के लिए उसमें रंग लगाया जाता है. जिसके बाद आग पर डी या सी पाटला पर गर्म कर पाटला पर हीं लाई को लगाया जाता है. लाई लगाने के बाद उसमें आवश्यकता अनुसार मोतियों से डिजाइन बनाया जाता है. इसके बाद लहठी बनकर तैयार हो जाता है.
2900 रूपए तक की विमला बनाती है लहठी
विमला देवी ने बताया कि लहठी बनाने में दो से तीन घंटे का वक्त लगता. वहीं शादी वाले सेट को बनाने में 3 से 4 दिन का समय लगता है. उन्होंने बताया कि साधारण लहठी का सेट बनाने में 50 रूपए खर्च आता है. वहीं बाजार में 100 रूपए प्रति सेट सेल किया जाता है. साथ ही स्पेशल ऑर्डर और शादियों के लिए तैयार होने वाले लहठी सेट पर 1200 रूपए खर्च आता है. जबकि बाजार में 1400 से लेकर 1500 तक में सेल होता है. वहीं अधिकतम 2900 रूपए तक का लहठी बनाते हैं. बाजार में 3200 से लेकर 3300 तक में सेल करते हैं. इससे सालाना 5 लाख तक की कमाई कर लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 4, 2024, 19:35 IST