जीवन में सभी कष्टों से चाहिए मुक्ति? तो मकर संक्रांति के दिन करें यह उपाय 

कुंदन कुमार/गया : मकर संक्रांति को सनातन धर्म का सबसे बडा त्योहार कहा जाता है. इस वर्ष मकर संक्रांति 15 जनवरी को है. मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और उत्तर दिशा की ओर गति करते हैं. मकर संक्रांति से देवताओं के दिन शुरू हो जाते हैं. मकर संक्रांति पर गंगा स्नान, दान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति पर गंगा स्नान करके भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के जीवन में हर तरह कष्टों से मुक्ति मिल जाती है. जीवन में सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

पितरों का तर्पण और दान करना चाहिए
मकर संक्रांति पर स्नान करने के बाद आपको अपने पितरों का तर्पण और दान करना चाहिए. इससे आपको अपने पितरों का भी आशीर्वाद मिलेगा. जिससे आपका जीवन सुखी हो जाएगा. इस दिन कुछ उपाय करने से कष्टों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है. गया मंत्रालय वैदिक पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि पितरों के निमित्त उनके उतम लोक की प्राप्ती के लिए संक्रांति के दिन षट तिल कर्म करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है. इस दिन स्नान करते समय तिल का उपयोग करें. इस दिन शरीर में तिल का उबटन लगाकर स्नान करने का नियम है.

करें यह भी उपाय
पंडित राजा आचार्य ने बताया इस दिन षट तिल कर्म करने का नियम है. संध्या वंदन के बाद सभी पितरों के निमित्त गंगा स्नान करके तिल से अर्पण करते हुए पितरों का तिल तर्पण करें. इसके अलावे इस दिन भगवान के निमित्त तिल तेल का दीपक जलाएं. तिल का तेल शुद्ध होना चाहिए. इस दिन तिल का हवन करें.

भगवान लक्ष्मी नारायण और पितरों के निमित्त तिल, गुड, घी मिलाकर हवन करें. इसके अलावे इस दिन किसी ब्राह्मण को देवालय को, गरीबों को तिल से बनी मिठाई या अन्य सामग्री दान करें. वहीं इस दिन तिल का सेवन जरुर करें. भगवान और अराध्य देव को तिल का नैवेद्य लगाकर सेवन अवश्य करें और ऐसा करने से जीवन में अपार खुशी और प्रसन्नता होती है और पितर लोक भी प्रसन्न हो जाते हैं.

यह भी पढ़ें : मकर संक्राति पर बन रहा रवि योग, इस योग में करें सूर्यदेव की उपासना, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

तिल का तर्पण करने से…
मकर संक्रांति के त्योहार के बाद से दिन लंबे होने लगते हैं. रातें छोटी होने लगती हैं. सूर्य एक वर्ष में उत्तरायण और दक्षिणायण होते हैं. शास्त्रों के अनुसार उत्तरायण देवताओं का दिन और दक्षिणायण देवताओं की रात मानी जाती है. सूर्य जब दक्षिणायन में रहते हैं तो इस दौरान देवी- देवताओं की रात्रि और उत्तरायण के 6 माह को दिन कहा जाता है. मकर संक्रांति के दिन तिल का तर्पण करने से पितर लोक को आत्मा की शांति मिलती है.

Tags: Bihar News, Gaya news, Local18, Religion 18

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *