जीते जी ही खुदवा ली अपनी कब्र, सफेद के बजाय हरे रंग का खरीदा है कफन, जानें वजह

आलोक कुमार/गोपालगंज: आज तक आपने मां-बेटे के प्यार की कई कहानियां सुनी होंगी. वैसे तो हर बेटे के लिए उसकी मां किसी अनमोल हीरे से कम नहीं होता है, लेकिन कुछ बेटे ऐसे भी हैं जो अपना सारा जीवन और प्रेम अपनी मां को अर्पित कर देते हैं.

गोपालगंज के बलहा गांव में रहने वाले एक मां-बेटे का निश्चल प्रेम कुछ ऐसा ही है. मां-बेटे के बेइंतहा मोहब्बत की ये कहानी मरहूम मुबारक हुसैन के बेटे मंजूर हसन की है. उन्होंने मां से मोहब्बत की अनूठी मिसाल पेश की है. मंजूर हसन अपनी मां शाह शहरबानो हसनी से इस कदर प्यार करते हैं कि उन्होंने अपनी मां के कब्र के पास ही अपना कब्र भी खुदवा लिया है.

बेपनाह प्यार के चलते अपनी अम्मी के पास ही खुदवा लिया कब्र

बिहार के गोपालगंज जिला अंतर्गत बरौली प्रखंड के बलहा गांव निवासी मंजूर हसन की चर्चा आज हर कोई कर रहा है. चर्चा इसलिए हो रही है कि इस शख्स ने जीते जी अपना कब्र खुदवा लिया है. मंजूर की उनकी मातृ भक्ति को लेकर आज मिसालें दी जा रही है. बता दें कि 1999 के जून महीने में उनकी अम्मी का इंतकाल हो गया था. तब से मंजूर अपनी मां की मजार पर ही रहते हैं. इतना ही नहीं अपनी मौत के बाद वह अपनी मां के बगल में ही दफन होना चाहते हैं.

इतना ही नहीं मंजूर हसन अपने इंतकाल के बाद की सारी व्यवस्था भी खुद कर चुके हैं. तीन भाइयों में सबसे छोटे मंजूर के ऊपर उस वक्त दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था जब उनकी अम्मी का इंतकाल हो गया था. उनकी याद में मंजूर हसन ने मजार बनवाया और दिन-रात उसी मजार पर रहते हैं उनकी सेवा करते हैं.

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अम्मी के मजार पर रहने से मिलता है सुकून


मंजूर हसन ने बताया कि वह अपनी मां से अलग नहीं रहना चाहता है. उनके इंतकाल के बाद काफीविचलित हो गए थे. जिंदगी बोझ लगने लगी थी. लेकिन धीरे-धीरे खुद को संभाला और अम्मी का मजार बनवाया और अब अधिकांश समय यही बीतता हैं. कब्र इसलिए खुदवाया है कि मरने के बाद भी मां के बगल में ही रह सकूं.

मंजूर हसन ने बताया कि जब अम्मी जीवित थी तो चाहे कितनी भी परेशानी में रहूं, उनके पास चले जाने के बाद काफी सुकून मिलता था. जब भी विचलित होता हूं तो मजार पर जाकर सुकून मिलता है. उन्होंने बताया कि खुद का कफन इसलिए खरीदा, क्योंकि मरने के बाद लोग मुझे सफेद कफन में लिटा देते, लेकिन मुझे हरा कफन पसंद है. हरा रंग हुसैनी रंग होता है. अम्मी हमेशा कहा करती थीं कि प्यार सबसे करना चाहिए, किसी से दुश्मनी नहीं करनी चाहिए. अगर प्यार करेंगे तो दुश्मनी अपने आप खत्म हो जाएगा.

दो बेटा और चार बेटियों के पिता है मंजूर हसन

समाज में आज भी कई ऐसे लोग हैं जो बूढ़े माता-पिता को अकेला छोड़ देते हैं. मां की तड़पती ममता को दरकिनार कर अपनी जिंदगी की चकाचौंध में खो जाते हैं. मंसूर ऐसे लोगों को भी संदेश देते हुए कह रहे हैं कि कभी भी मां का दिल नहीं तोड़ना चाहिए मां के कदमों में जन्नत होती है और उसकी आह से जिंदगी जहन्नुम बन जाता है. मंसूर हसन का मातृ प्रेम आज सभी के दिलों को छू रहा है. आपको बता दें कि मंजूर हसन के दो बेटा और चार बेटियां है.जिसमें तीन बेटियों को शादी भी कर चुके हैं. मंजूर हसन के लड़का साबिर हसन इंजीनियर है और छोटा बेटा समीर हसन ITI किया है, जो अब घर की सारी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

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