अर्पित बड़कुल/दमोह: बुंदेलखंड की पावन धरा को प्राचीन धरोहर की खान माना जाता है. यहां आज भी राजा-महाराजाओं के दौर के प्राचीन किले, मंदिर, गढ़ियां, झरने और तालाब मौजूद हैं. उन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक मंदिर दमोह की नोहटा उपतहसील के बनवार गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर मुआर गांव में है. जिसे 16-17वीं शताब्दी का बताया जाता है. खास बात ये कि यह राम मंदिर है, जो जीर्ण-शीर्ण हालत में है. भोपाल से आई पुरातत्व विभाग की टीम ने इसे संरक्षित करने की योजना बनाई है.
मंदिर के नजदीक मिला 10-11वीं शताब्दी का तालाब
भोपाल से मुआर पंहुचे पुरातत्व अधिकारी रमेश यादव की टीम ने जब राम मंदिर का जायजा लिया, तब उन्हें चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं. उन्होंने बताया कि मुआर में करीब 16-17वीं शताब्दी का प्राचीन राम मंदिर है, जो देख-रेख के अभाव में आज जीर्ण-शीर्ण हालत में है. जिसे संरक्षित करने के अलावा भविष्य में जीणोद्धार भी करेंगे. साथ ही यहां एक और प्राचीन स्थल है, 10-11वीं शताब्दी में जिसे मड़ाहा (तालाब) कहते थे. वहीं पर ही प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले हैं. यहां प्राचीन मूर्तियां रखी हैं, जो 10वीं से 11वीं शताब्दी की हैं.
दौनी ग्राम की जमीन उगलती है प्राचीन धरोहर
तेंदूखेड़ा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाला दौनी गांव के इतिहास पर एक नजर डालें तो यह वही स्थल है, जहां पर पहले कभी 7 से 8 मंदिरों का समूह हुआ करता था. जो वर्तमान समय में पूरी तरह से प्राकृतिक आपदाओं के कारण बिखरा हुआ है. रानी दमयंती पुरातत्व संग्रहालय में मौजूद अधिकतर प्रतिमाएं 10-11वीं शताब्दी की हैं, जो दौनी ग्राम से ही प्राप्त हुई हैं.