जिम कॉर्बेट से जुड़ा है बैंड स्टैंड का इतिहास, कभी बजा करता था ‘ कैप्टन राम सिंह का बैंड’

तनुज पाण्डे/ नैनीताल. उत्तराखंड का नैनीताल जितना खूबसूरत है, उतना ही समृद्ध नैनीताल का इतिहास है. नैनीताल में ब्रिटिशकाल की अनेकों निशानियां आज भी देखने को मिलती हैं. इन्हीं में से एक है नैनीताल का बैंड स्टैंड (Band Stand Nainital). इसका निर्माण प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट (Jim Corbett) से जुड़ा हुआ है. नैनीताल के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर अजय रावत बताते हैं कि जिम कॉर्बेट युवा अवस्था में मुकमा घाटी में जब रेलवे में बतौर फ्यूल इंस्पेक्टर नौकरी करते थे, तो उस दौरान ही साल 1920 में वह नौकरी छोड़कर नैनीताल आए और नैनीताल नगरपालिका के सदस्य बन गए थे. जिम कॉर्बेट नैनीताल नगरपालिका द्वारा बनाई जाने वाली नीतियों को लेकर बेहद उत्साहित रहते थे. साल 1930 में उन्होंने अपनी जमा पूंजी से 7200 रुपये नैनीताल नगरपालिका को दान कर दिए थे. इन पैसों से नैनीताल के पाइन्स स्थित शमशान घाट और नैनीताल बैंड स्टैंड का निर्माण करवाया गया. पहले यह बैंड स्टैंड लकड़ी का बनाया गया था.

उन्होंने आगे बताया कि नैनीताल शहर को अंग्रेजों ने टूरिस्ट सेंटर और एजुकेशनल सेंटर के रूप में बसाया था. उन्होंने यहां कई मिशनरी स्कूलों का और हेरिटेज भवनों का निर्माण करवाया. नैनीताल का बैंड स्टैंड भी आकर्षण का केंद्र था. प्रोफेसर रावत बताते हैं कि उन दिनों हर शनिवार और रविवार को यहां मधुर धुनें बजाई जाती थीं, जिसे सुनने काफी संख्या में लोग बैंड स्टैंड के चारों तरफ इकट्ठा हो जाते थे. इसमें काफी संख्या में स्थानीय लोग और स्कूली बच्चे होते थे. बैंड सुनने की लोकप्रियता ऐसी थी कि मल्लीताल रिक्शा स्टैंड तक लोगों की भीड़ इकट्ठा हो जाती थी.

जब बजता था कैप्टन राम सिंह का बैंड

वह आगे बताते हैं कि आजादी के बाद साल में दो महीने के लिए पीएसी का बैंड यहां आता था, जो अलग-अलग कदमों को थिरकाने वाली धुनों को बजाता था. इस बैंड का नेतृत्व कर रहे कैप्टन राम सिंह नैनीताल में बेहद लोकप्रिय हो चुके थे. उन्हें नैनीताल में गुरुजी के नाम से जाना जाने लगा था. पीएसी के इस बैंड को भी अब कैप्टन राम सिंह का बैंड के नाम से जाना जाने लगा था. कैप्टन राम सिंह ने इंडियन नेशनल आर्मी में भी अपनी सेवाएं दी थीं. कैप्टन राम सिंह के बाद उनके साथी बरार साहब ने इस बैंड की कमान संभाली. उसके बाद पैसों की कमी और नगरपालिका की लापरवाही के चलते मूल्यों का ह्रास होता चला गया और धीरे-धीरे समृद्ध इतिहास समेटे नैनीताल का बैंड स्टैंड अब खुद इतिहास बनने की ओर अग्रसर है.

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