जिंदा लोगों को इन गांवों में मार कर फिर से जीवित किया जाता है, जानिए पुनर्जन्म की सच्ची कहानी!

हाइलाइट्स

ग्राम पंचायतों में नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाता था, फिर इसके सहारे बीमा क्लेम की राशि हड़प ली जाती थी.
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह न मृत्यु प्रमाण पत्र की जानकारी वेब साइट पर सार्वजनिक करने के दिए निर्देश

भोपाल. मध्य प्रदेश के गांवों में जिंदा लोगों को मारकर फिर से जिंदा करने का कारनामा किया जाता है. यानी लोगों को पुनर्जन्म दिया जाता है. एक नहीं बल्कि कई-कई बार आदमी जिंदा हो जाता है. चौंकिए नहीं! दरअसल, बीमा क्लेम के लिए पंचायतों से नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर इस खेल को अंजाम दिया जा रहा है. मप्र राज्य सूचना आयोग ने एक मामले की सुनवाई के दौरान इस रैकेट का खुलासा किया.

यह खुलासा तब हुआ जब RTI आवेदिका एडवोकेट दीपमाला मिश्रा ने भिंड और मुरैना जिलों में पिछले 5 साल में जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्रों की जानकारी मांगी. इस मामले की सुनवाई सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने की.

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पहले नकली प्रमाण पत्र, फिर उसे डिलीट कर देते हैं पंचायत सचिव
दीपमाला मिश्रा सभी प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी के लिए लाइफ इंश्योरेंस क्लेम के इन्वेस्टिगेशन का काम भी करती हैं. दीपमाला मिश्रा ने सुनवाई में आयोग के सामने दस्तावेज रखते हुए खुलासा किया कि ग्वालियर चंबल संभाग में बड़े पैमाने पर ग्राम पंचायत से नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने का रैकेट चल रहा है. इस रैकेट के चलते प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनी ने भिंड मुरैना क्षेत्र को ब्लैकलिस्टेड भी कर रखा है.

मिश्रा ने कहा कि पैसा लेकर ग्राम पंचायत सचिव मृत्यु प्रमाण पत्र जारी कर देते हैं और उसके बाद जब बीमा क्लेम की राशि निकाल ली जाती है तो पंचायत सचिव मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने के रिकॉर्ड को डिलीट कर देते हैं.

पंचायत द्वारा सर्टिफाइड मरे हुए लोग इन्वेस्टीगेशन में निकले जिंदा
दीपमाला मिश्रा ने आयोग को बताया कि ग्राम पंचायत सचिवों के विरूद्ध कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने की वजह से यह रैकेट 2010 से चल रहा है. पंचायत सचिव से जब आरटीआई में जानकारी मांगते हैं तो वह सालों जवाब नहीं देते हैं. जब गांव मे मृत आदमी इंश्योरेंस कंपनी के इंस्टिगेशन में जिंदा निकलता है तो पंचायत सचिव यह सफाई देते हैं कि उनका पोर्टल हैक हो गया है. उनका आईडी पासवर्ड चोरी करके किसी ने मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया है.

दीपमाला मिश्रा ने सूचना आयुक्त राहुल सिंह के सामने इस प्रकरण से संबंधित दस्तावेज पेश करते हुए कहा कि वर्तमान में ग्वालियर के डाबरा के खड़वाई ग्राम में मृत्यु प्रमाणपत्र के आधार पर सात लोगों की बीमा की राशि निकाली गई. हाल ही में यह सातों लोग इंश्योरेंस कंपनी के इन्वेस्टिगेशन में जिंदा पाए गए अभी मामला स्थानीय कोर्ट में चल रहा है.

नकली प्रमाण पत्र जारी होने पर FIR करवाए : आयोग

सूचना आयोग से जारी आदेश में आयुक्त राहुल सिंह ने कहा कि ग्राम पंचायत सचिवों की दलील कि उनका पासवर्ड आईडी हैक हो गया था इसीलिए नकली मृत्यु प्रमाण पत्र जारी हो गए स्वीकार करने योग्य नहीं है. इस तरह के मामलों मे जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए. शासकीय रिकॉर्ड में किसी भी तरह की हेराफेरी कूटरचना भारतीय न्याय संहिता के तहत दंडनीय अपराध है. सिंह ने कहा कि दस्तावेजों में इस तरह की कूटरचना सामने आने पर यह लोक प्राधिकारियों का दायित्व है की वह प्रकरण में FIR दायर करवाकर दोषी अधिकारी कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करवाए.

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मृत्यु प्रमाण पत्र की जानकारी वेबसाइट पर बताएं

रैकेट पर अंकुश लगाने के लिए सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने पंचायत विभाग के विकास आयुक्त मंत्रालय भोपाल को आदेश जारी किए हैं. सिंह ने पंचायत की रिकॉर्ड संधारण व्यवस्था को सूचना आयोग का अधिकार क्षेत्र बताते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र के रिकॉर्ड को वेबसाइट पर सार्वजनिक करने के निर्देश जारी किए हैं. सिंह ने कहा कि इससे पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित होगी और साथ ही नकली प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी कर्मचारियों की जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी. RTI आवेदिका को इन दोनों प्रकरणों में जानकारी के परेशान करने और जानबूझकर जानकारी रोकने पर क्षतिपूर्ति की राशि के आदेश भी जारी किए है. भिंड और मुरैना के पंचायत सचिव और जनपद पंचायत सीईओ की लापरवाही की वजह से RTI में जानकारी नहीं मिलने पर कुल ₹10000 का हर्जाना दीपमाला मिश्रा को पंचायत विभाग को देने के निर्देश सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जारी किए.

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