Japan Nuclear JT-60 SA Reactor News: दुनिया के सभी मुल्क इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ऊर्जा की जरूरतें कैसे पूरी होंगी. बिजली, आज हम सबकी जिंदा का अहम हिस्सा है. बिजली पैदा करने के लिए कई तरीके हैं जिनमें न्यूक्लियर रिएक्टर भी शामिल हैं. दुनिया के विकसित देशों में न्यूक्लियर रिएक्टर के जरिए बिजली पैदा करने पर काम दशकों से चल रहा है. इन सबके बीच जापान के नाका नार्थ में दुनिया के सबसे बड़े न्यूक्लियर प्लांट ने काम करना शुरू कर दिया है. यह एटॉमिक प्लांट क्यों खास है. इसे जानना भी जरूरी है.
नाका नॉर्थ में स्थापित इस न्यूक्लियर रिएक्टर का नाम जेटी 60 एसओ है. इसमें सूरज की तरह ऊर्जा पैदा की जा रही है. अब यह दुनिया के दूसरे प्लांट से अलग क्यों है. दरअसल अभी तक जितने भी न्यूक्लियर रिएक्टर काम कर रहे हैं वो न्यूक्लियर फिजन पर आधारित हैं. इसका अर्थ यह है कि एटम के विखंडन से ऊर्जा पैदा की जाती है. लेकिन जेटी 60 एसओ न्यूक्लियर फ्यूजन पर काम कर रहा है. इसका अर्थ यह है कि हाइड्रोजन के दो परमाणुओं को जोड़ने से ऊर्जा का उत्पादन होगा. बता दें कि अभी व्यवसायिक स्तर पर ऊर्जा का उत्पादन नहीं किया जा रहा है. अभी इसका ट्रायल किया जा रहा है. अगर कामयाबी मिली तो यह कार्बन मुक्त ऊर्जा हासिल करने का बेहतरीन स्रोत होगा जिससे प्रदूषण पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी.
फ्यूजन रिएक्टर की खासियत
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यह रिएक्टर करीब 6 मंजिल ऊंचा.
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डोनट के शक्ल में बनाए गए हैं वेसल.
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वेसल को दिया गया है टोकामाक नाम
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टोकामाक के अंदर घुमाया जाता है प्लाज्मा
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प्लाज्मा के तेजी से घूमने पर तापमान का स्तर 2 करोड़ डिग्री
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दुनिया के 500 इंजीनियर कर रहे हैं काम
क्या होता है न्यूक्लियर फिजन
न्यूक्लियर फिजन में यूरेनियम पर न्यूट्रान से बमबारी करायी जाती है. उसकी वजह से यूरेनियम दो हिस्सों में टूटकर चेन रिएक्शन को जन्म देता है, उस प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है. इसे परमाणु विखंडन भी कहते हैं.
क्या होता है न्यूक्लियर फ्यूजन
फ्यूजन की प्रक्रिया में हाइड्रोजन के दो एटम को आपस में मिलाते हैं. हाइड्रोजन के दो परमाणु मिलकर हीलियम बनाते हैं और उस प्रक्रिया में असीमित ऊर्जा निकलती है.
फ्रांस भी बड़े प्रोजेक्ट पर कर रहा है काम
इन सबके बीच फ्रांस भी जेटी-60 एसए से बड़े प्लांट पर काम कर रहा है. इस प्लांट को इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर यानी आईटीईआर नाम से जाना जाएगा. जापान के नाका नॉर्थ में अगर फ्यूजन के जरिए किसी तरह की तकनीकी दिक्कत नहीं आई तो इससे ऊर्जा उत्पादन की तस्वीर बदल जाएगी. एटॉमिक एनर्जी के जानकार बताते हैं कि 2050 के आसपास हम न्यूक्लियर फ्यूजन के जरिए व्यवसायिक स्तर पर ऊर्जा उत्पादन कर पाने में सक्षम होंगे.