रूपांशु चौधरी/हजारीबाग. भारत कृषि प्रधान देश है, लेकिन पारंपरिक कृषि में कम मुनाफा होने के कारण अब किसान नई-नई तकनीक से कृषि कर रहे हैं. ऐसे ही हजारीबाग के कटकमदाग प्रखंड के सुदूरवर्ती अडरा गांव के किसान संजीत कुमार ने अपने खेत में जापानी बीज और विधि से 1 एकड़ में मटर की खेती की है. यह खेती 2.5-2.5 कट्ठे के 10 पॉलीहाउस में की गई है.
बता दें कि यह पॉलीहाउस सरकारी योजना के तहत लगाए गए थे. किसान संजीत बताते हैं कि वह कई सालों से खेती करते आ रहे थे. लेकिन, मुख्य रूप से उनके यहां धान, गेहूं, आलू और कुछ ही प्रकार की हरी सब्जियों की खेती की जाती थी. जिसमें बेहद कम उत्पादन हो पाता था. खेतों में उपजी फसल से केवल परिवार के उपयोग भर ही उत्पादन हो पाता था, जिस कारण वो खेती में नए-नए प्रयोग करने लगे.
नर्सरी में तैयार किया बीज
आगे बताया कि यह पहला साल था, जब उन्होंने अपने खेत में मटर की खेती की है. इसके लिए जापानी विधि से मटर के खेत को लगाया था. साथ ही इसमें इंडो-जापानी मटर के बीज को लगाए थे. इन बीजों को नर्सरी में तैयार किया था. जिससे उपजे मटर के पौधों को क्रमबद्ध तरीके से पॉलीहाउस के अंदर लगाया गया. साथ ही उसमें ड्रिपिंग के माध्यम से रोजाना पानी दिया जाता था. ड्रिपिंग के माध्यम से पानी देने पर पानी की कम खपत होती है. साथ ही पैदावार भी अच्छी होती है. मटर के खेत सितंबर महीने में लगाए गए थे. एक एकड़ 2.5 किलो बीज लगे थे. प्रति किलो बीज की कीमत 1200 रुपये आई थी.
2500 किलो मटर का उत्पादन
किसान ने आगे बताया कि मटर की फसल इस वर्ष अच्छी आई है. जहां भारतीय बीज और कृषि पद्धति से मटर के पौधे से 2 बार फसल आती है. वहीं जापानी पद्धति से मटर के पौधों में 7 से 8 बार तुड़वाई की जाती है. पौधे में भी अधिक मटर के दाने आते हैं. ये मटर के दाने आकार में बड़े होते हैं. साथ ही काफी मीठे भी. इस कारण बाजार में यह 5 से 10 रुपये किलो महंगे बिकते हैं. अभी तक 2000 किलो से अधिक मटर की तुड़ाई हो चुकी है. वहीं इस मटर को 30 से 60 रुपये किलो तक बेचा गया गया है. बताया कि अभी तक एक लाख से अधिक की मटर बिक चुकी है. वहीं, आखिरी तुड़वाई बाकी है. अभी और 300 से 500 किलो मटर टूटने का अनुमान है.
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FIRST PUBLISHED : February 13, 2024, 21:38 IST