रामकुमार नायक/रायपुर : सनातम धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है. इस बार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है, और इस दिन साल का अंतिम चंद्रग्रहण भी लगने वाला है. शरद पूर्णिमा को माना जाता है, कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है. आपको बता दें कि इस दिन चंद्रमा अमृत की बरसात करता है.
परंपरा के अनुसार, इस दिन खीर बनाई जाती है, जो कि चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है. यह परंपरा सनातन धर्म में सदियों से चली आ रही है. इस मौके पर, खीर को एक प्रसाद के रूप में भी ग्रहण करने की प्रथा है, मान्यता ये है कि यह आरोग्य को बढ़ावा देता है. लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण भी होने वाला है, जिसकी वजह से लोगों में खीर प्रसाद को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है.
खीर को माना जाता है अमृत
एक साल में 12 पूर्णिमा होती है, लेकिन जब अधिक मास का साल होता है उस साल 13 पूर्णिमा का योग बनता है. लेकिन इनमें से शरद पूर्णिमा का महत्व सबसे ज्यादा माना जाता है. इस रास पूर्णिमा भी कहते हैं. मान्यता है, कि चंद्रमा इस रात अपनी 16 कलाओं में होता है. रात को खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखकर उसे सुबह ग्रहण करना अमृत रूप माना जाता है.
दमा रोगियों के लिए फायदेमंद
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि प्रायः हमारे छत्तीसगढ़ के अलावा बहुत से राज्यों में शरद पूर्णिमा के पर्व में उत्साह के रूप में मंदिरों में खीर बनाकर उसका प्रसाद वितरण किया जाता है. बहुत से क्षेत्रों में आयुर्वेद के ज्ञाता दमा की दवाई देते हैं. दमा रोगियों को खीर के प्रसाद में दवा मिलाकर दवाई का वितरण करते हैं.
इस रात को सूतक और ग्रहण होने के कारण नियम यही है कि सूतक लगने के पूर्व खीर को बना लें और उसमें औषधि के साथ तुलसी पत्र और गंगाजल डालकर ढंक कर रख लेना चाहिए फिर मध्य रात्रि यानी 2 बजकर 23 मिनट में ग्रहण काल खत्म होने के बाद शुद्धिकरण के पश्चात प्रसाद वितरण कर शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जा सकता है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित मां महामाया देवी मंदिर में शरद पूर्णिमा का पर्व उत्साह के साथ बनाया जाता है लेकिन इस बार ग्रहण होने कारण ऐसे ही शरद पूर्णिमा का पर्व बनाया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : October 27, 2023, 18:30 IST