जानें वर-वधू के हाथों में क्यों बांधा कंकन बंधनम? विवाह में क्या है इसका महत्व

विक्रम कुमार झा/ पूर्णिया. शादी की सीजन की शुरुआत हो चुकी है. वही हिंदू धर्म में हिंदू रीति रिवाज के द्वारा मनाए जाने वाले शादी का खास महत्व दिया गया है. साथ ही साथ हिंदू रीति रिवाज में हो रहे पारंपरिक शादियों में अलग-अलग विधि विधान बंधन का एक रिवाज होता है. क्या आप जानते हैं की शादी-विवाह में लड़का और लड़की के हाथों में कंकन बंधनम क्यों बांधा जाता है? इसका पौराणिक महत्व क्या है. शास्त्रों में इसका क्या महत्व हैं इसके पीछे का कारण और यह किन चीजों से यह कंकन बंधनम बांधने की परंपरा क्यों हैं?

होता है यह फायदा
पंडित दयानाथ मिश्र कहते हैं कि हिंदू रीति रिवाज में हो रहे शादी विवाह में वर और वधू के हाथों में कंकन बंधनम बांधा जाता है. दरअसल यह कंगन या कंकन बंधनम शुभ का प्रतीक माना जाता है. साथ ही साथ यह अटूट बंधन और प्रेम का प्रतीक भी माना गया है. वही इसे बांधने से वर और वधू दोनों की दीर्घायु की कामना की जाती है. एक दूजे के लिए प्यार में ललाहित रहते हैं. वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है. संतान प्राप्ति के लिए बहुत लाभकारी.

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वर-वधू के हाथों में बांधा जाता हैं आम के पत्तों का कंकन
पंडित जी आगे कहते हैं कि यह कंकन बंधनम को शास्त्रों में भी विशेष महत्व दिया गया है. शास्त्रों के मुताबिक अगर माने तो यह कंकन बंधनम में आम का पत्ता, अरवा चावल, दही हल्दी दूर्वा सहित अन्य कई चीजों को जटामांसी सहित अन्य कई चीजों को मिलाकर यह कंकन बंधनम बांधा जाता है. जिसके बाद वर के दाहिने हाथों में और वधू के बाये हाथों में लाल या पीला धागा में बांधे जाते हैं.

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यह कंकन बंधनम का विशेष महत्व है. उन्होंने कहा कि यह शादी की रात को मंडप पर ही वर- वधू के हाथों में बांधा जाता है. जिसके बाद यह कंकनम बंधनम् अगले चार दिनों तक लड़का और लड़की दोनों अपने हाथों में रखते हैं. उसके बाद चतुर्थी होने पर इस बंधन को हाथों से खोलकर वह फेंक देते हैं.दरअसल इनका विशेष महत्व है ऐसा कहा जाता है कि यह एक ऐसी रिवाज है. जिसे बांधने से वैवाहिक जीवन में आने वाले हर समय खुशियों का ही पल मिले.

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