रामकुमार नायक/रायपुरः सनातन धर्म में एकादशी व्रत को बेहद खास और पवित्र व्रत माना गया है. इस दिन पूरे विधि-विधान और सच्चे भक्ति भाव से श्रीकृष्ण की आराधना का विधान है. वैसे तो हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ज्यादा महत्व होता है. लेकिन, मार्ग शीर्ष महीना होने की वजह से एकादशी के व्रत का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इस खास दिन सच्चे भक्ति भाव से लोग व्रत रखते हैं और श्री कृष्णा और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. आपको बता दें कि एकादशी महीने में दो बार आती है. इस बार 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी व्रत रखा जाएगा.
ज्योतिषाचार्य पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 महीने में 24 एकादशी व्रत मनाए जाते है. सभी एकादशियों के नाम अलग-अलग हैं. लेकिन, सभी एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की उपासना और तुलसी माता की पूजा जाती है. भगवान विष्णु की पूजा का फल प्राप्त करना है, तो तुलसी के माध्यम से ही प्राप्त होता है. इसलिए इस दिन व्रत रखकर जितने भी एकादशी व्रती हैं, उन्हें तुलसी मैया की विशेष आराधना करनी चाहिए. भगवान का भोग लगाते समय भी तुलसी पत्र अर्पण करते हैं. इस दिन एकादशी आरंभ होने से पहले दिन संध्या को भोजन वर्जित किया जाता है और फिर उसके बाद एकादशी पर्यंत तिथि तक व्रत रखा जाता है.
उत्पन्ना एकादशी से व्रत शुरू
द्वादशी तिथि को ब्रह्म मुहूर्त में सुबह जल्दी स्नान कर भगवान विष्णु की पूजन कर और अपने पितरों के निमित्त दान करना चाहिए. आराधक साधक को भोजन भी करा सकते हैं. इस दिन अधिक से अधिक भगवान की पूजा अर्चना में समय देना चाहिए. एकादशी व्रत के जितने भी नियम है उनका पालन करना चाहिए. अगर आप एकादशी व्रत रखना आरंभ करना चाहते हैं तो इस दिन से करना चाहिए. इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी है. सभी एकादशियों का नाम अलग-अलग है. जैसे कमला एकादशी, पद्मा एकादशी, देवसैनी एकादशी, देवउठनी एकादशी, उत्पन्ना एकादशी. इसलिए इस उत्पन्ना एकादशी के दिन से एकादशी व्रत रखना प्रारंभ कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 5, 2023, 16:18 IST