जानलेवा हो सकती हैं फेफड़ों की 4 बीमारियां, बचाव ही एकमात्र उपाय

World Lung Day 2023: हमारे शरीर का हर अंग जरूरी होता है। सभी का अपना अलग काम होता है, जो हमें स्वस्थ को बनाने में मदद करते हैं। लंग्स भी इन्हीं में से एक है, जो हमारे सांस की नली का सबसे अहम हिस्सा है। हालांकि, कई कारणों से लंग्स अलग-अलग तरह की समस्याओं का शिकार हो जाता है। ऐसे में जरूरी है कि फेफड़ों में होने वाली बीमारियों के बारे में आपको पता होना चाहिए।

इसलिए फेफड़ों की बीमारियों को रोकने के लिए हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग्स डे मनाया जाता है। इस मौके पर जानिए फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां, लक्षण, कारण और इलाज।

सीओपीडी बीमारी (Chronic obstructive pulmonary disease)

लक्षण

  • लगातार खांसी होना
  • सांसों का फूलना
  • अधिक कफ बनना
  • शारीरिक गतिविधि करने में परेशानी

इलाज

इस बीमारी को ठीक नहीं किया जा सकता है। हालांकि, ब्रोन्कोडायलेटर्स (Bronchodilator) और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroid) जैसी दवाओं से कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन गंभीर मामलों में, ऑक्सीजन थेरेपी में सुधार के लिए पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम का सुझाव दिया जा सकता है।

ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)

ब्रोंकाइटिस फेफड़ों में होने वाली सूजन है। आपके पेट और फिर वापस ब्रोन्कियल ट्यूब तक ले जाती है। वायरल संक्रमण एक्यूट ब्रोंकाइटिस का सबसे आम कारण है। वहीं, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस धूम्रपान से जुड़ा होता है।

लक्षण

  • खांसी
  • कंजेशन
  • म्यूकस (नाक से डिस्चार्ज)

इलाज

ब्रोंकाइटिस में आराम, हाइड्रेशन और ओटीसी रेमिडीज इसका इलाज है।

न्यूमोनिया (Pneumonia)

निमोनिया एक संक्रमण है, जो फेफड़ों के अंदर सूजन पैदा करता है। यह इंफेक्शन बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से हो सकता है।

लक्षण

  • बुखार
  • कफ आना
  • सीने में दर्द होना
  • सांस लेने में परेशानी

इलाज

अगर किसी को बैक्टीरियल निमोनिया है, तो इसके लिए एंटीबायोटिक्स का यूज किया जाता है। वहीं, वायरल निमोनिया के लिए एंटीवायरल दवाओं की मदद ली जाती है।

अस्थमा

अस्थमा एक क्रॉनिक रेस्पिरेटरी डिसऑर्डर है, जो लाखों लोगों पर असर करती है। इसमें एलर्जी, जलन पैदा करने वाले तत्व, रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन, एक्सरसाइज शामिल हैं।

लक्षण

  • घरघराहट की आवाज
  • सांस लेने में परेशानी
  • खांसी

इलाज

अस्थमा का भी कोई उपचार नहीं है। हालांकि, इसे इनहेलर की मदद से काफी हद तक रोक सकते हैं। इसके अलावा ब्रोन्कोडायलेटर्स और एंटी इंफ्लेमेटरी दवाओं से भी इसे कंट्रोल किया जा सकता है।

Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।

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