दीपक कुमार/बांका. कहते हैं मेहनत एक दिन जरूर रंग लाती है. इसी को चरितार्थ किया है बांका जिला के अमरपुर प्रखंड अंतर्गत किशनपुर गांव के रहने वाले सीमांत किसान अशोक मांझी ने. अशोक ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से घर पर ही धान का बिचड़ा उखाड़ने वाली मशीन जुगाड़ से बना दी. खास बात यह है कि यह किसानों के लिए बेहद कारगर है और जो काम सात से आठ मजदूर दिनभर में करते हैं. वहीं, इस मशीन की मदद के महज कुछ ही घंटे में कर सकते हैं. जुगाड़ तकनीक से बनी यह मशीन बेहद सस्ती है. अशोक मांझी को इस मशीन को तैयार करने में चार साल का वक्त लग गया था और इसमें 12 हजार की लागत आई थी.
अशोक मांझी बताते हैं कि धान की रोपाई के समय बिचड़ा उखाड़ने के लिए किसानों को 8 से 10 मजदूर लगते हैं, लेकिन इस मशीन में केवल एक मजदूर की जरूरत पड़ेगी और काफी कम समय में काम हो जाता है. अशोक ने बताया कि इस जुगाड़ मशीन में आगे और पीछे दो-दो चक्के लगे हुए हैं. यह मशीन बैटरी से चलती है. मशीन के नीचे ट्रे का प्रयोग किया गया, चक्का कीचड़ में नट के जरिए ऑटोमेटिक धीरे-धीरे चलता है. सहुलियत के लिए इस मशीन में हैंडल और पिनियन का भी प्रयोग किया गया है. काफी सरलता से इस मशीन को किसान प्रयोग कर सकते हैं. खास तौर से निम्नवर्गीय किसान को इससे काफी फायदा होगा.
8 साल की उम्र में किया था ये काम
अशोक मांझी बताते हैं कि बचपन से ही कुछ अलग करने की सोची थी. 8 साल की उम्र में खेल-खेल में ही गोबर गैस संयंत्र से चूल्हा बनाकर चाय बनाई थी. आर्थिक स्थिति खराब रहने की वजह से गांव छोड़कर बाहर काम करने चले गए थे, लेकिन आंख में चोट लग जाने के कारण किसी कंपनी में नौकरी नहीं मिल रही थी. इसलिए गांव वापस आना पड़ गया. गांव आने के बाद मन में ठान लिया कि कुछ अलग करना है. इसको लेकर कृषि से जुड़े उपकरण को बनाने में जुट गया. उन्होंने बताया कि घर की हालत खराब रहने की वजह से 9वीं तक ही पढ़ाई कर पाए थे. हालांकि, जुगाड़ तकनीक से बनी मशीन जीवन में नई उम्मीद लेकर आई और अब तक एक दर्जन से अधिक मशीनें बना चुके हैं. कई मशीन तो बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर में भी रख ली गई हैं. एक दर्जन से अधिक सम्मान भी मिल चुके हैं. जुगाड़ से अलग-अलग प्रकार की भी मशीन बना रहे हैं ताकि किसानों के लिए खेती आसान हो जाए.
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FIRST PUBLISHED : February 8, 2024, 16:56 IST