जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार का आह्वान किया, कहा- दुनिया ‘असमानता के नए रूपों’ से जूझ रही

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर देते हुए एक बहुध्रुवीय दुनिया का आह्वान किया। विदेश मंत्री ने रेखांकित किया कि दुनिया ‘‘नए प्रकार की असमानता और वर्चस्व’’ से जूझ रही है।
युगांडा की राजधानी कंपाला में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने ‘‘वसुधैव कुटुंबकम’’ से प्रेरित भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया।
उन्होंने कहा कि 2019 में अजरबैजान की राजधानी बाकू में एनएएम की बैठक के बाद से दुनिया पूरी तरह बदल गई है।
मंत्री ने कहा, ‘‘कोविड-19 महामारी ने हम सभी को तबाह कर दिया है, जिसके घाव भरने में पीढ़ियां लग जाएंगी। ऐसे संघर्ष चल रहे हैं जिनका असर दूर-दूर तक महसूस किया जा रहा है। विशेष रूप से गाजा हमारी चिंता के केंद्र में है।’’

विदेश मंत्री ने कहा कि गाजा पट्टी में मानवीय संकट के लिए एक ‘‘स्थायी समाधान की आवश्यकता है जो सबसे अधिक प्रभावित लोगों को तत्काल राहत दे’’।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘‘गाजा में संघर्ष स्पष्ट रूप से हमारी चिंता के केंद्र में है। इस मानवीय संकट के लिए एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है जो सबसे अधिक प्रभावित लोगों को तत्काल राहत दे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह भी स्पष्ट होना चाहिए कि आतंकवाद का रास्ता और बंधक बनाना अस्वीकार्य है। साथ ही सभी देशों द्वारा अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का हमेशा सम्मान किया जाना चाहिए। यह भी जरूरी है कि संघर्ष क्षेत्र के भीतर या बाहर न फैले।’’
उन्होंने द्वि-राष्ट्र समाधान की वकालत की जहां फलस्तीनी लोग सुरक्षित सीमाओं के भीतर रह सकें।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन तेजी से और नियमित रूप से खतरनाक स्तर पर पहुंचता जा रहा है और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इसका प्रभाव महसूस नहीं किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘कर्ज, मुद्रास्फीति और विकास की चुनौतियों ने भी विकास पर भारी असर डाला है।’’
जयशंकर ने कहा, ‘‘हमने भले ही उपनिवेशवाद को उखाड़ फेंका हो, लेकिन हम असमानता और वर्चस्व के नए रूपों से संघर्ष कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण का युग अर्थव्यवस्था पर केंद्रित है जो शेष विश्व को केवल बाजार या संसाधन के रूप में मानते हैं।
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर देते हुए बहुध्रुवीय दुनिया का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें सांस्कृतिक पुनर्संतुलन पर भी जोर देना चाहिए जहां सभी विरासतों का परस्पर सम्मान किया जाए।’’
मंत्री ने कहा कि अफ्रीकी संघ की जी20 सदस्यता का नेतृत्व करके भारत ने समूह की अध्यक्षता के दौरान दिखाया कि परिवर्तन संभव है। उन्होंने कहा कि इससे सुधारयुक्त बहुपक्षवाद की प्रेरणा मिलनी चाहिए।
जयशंकर ने कहा कि विश्व व्यवस्था में बदलाव के लिए व्यावहारिक कदम उठाने की जरूरत है।

एनएएम 120 देशों का एक मंच है जो औपचारिक रूप से किसी भी प्रमुख शक्तिशाली गुट के साथ या उसके खिलाफ गठबंधन नहीं करता है।
जयशंकर ने इस महत्वपूर्ण समय में एनएएम की अध्यक्षता संभालने के लिए युगांडा की भी सराहना की और इस कठिन अवधि के दौरान गुट का नेतृत्व करने के लिए पूर्व अध्यक्ष अजरबैजान की प्रशंसा की।
मंत्री ने नए सदस्य के रूप में दक्षिण सूडान का भी स्वागत किया।

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