जयकारों के साथ केदारनाथ के कपाट बंद, अब कहां होंगे भोलेनाथ के दर्शन?

सोनिया मिश्रा/ रुद्रप्रयाग. भैया दूज के मौके पर श्री केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. कपाट बंद होने से पहले बाबा की पंचमुखी मूर्ति को विधि-विधान के साथ भंडारगृह से मंदिर के सभामंडप में विराजमान किया गया. यह प्रक्रिया सुबह करीब चार बजे से शुरू होकर 8:30 बजे पूरी हुई. सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ बाबा की पंचमुखी विग्रह मूर्ति शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान कर चुकी है. यहां अगले छह माह तक बाबा के दर्शन होंगे. आज सुबह करीब चार बजे मुख्य पुजारी शिवलिंग ने भगवान केदारनाथ के स्वयंभू ज्योर्तिलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि रूप दिया. उसके बाद ज्योर्तिलिंग को बाघमबर, भृंगराज फूल, भस्म, स्थानीय शुष्क फूलों-पत्तों आदि से ढक दिया गया. भकुंट भैरव नाथ के आह्वान के साथ ही गर्भगृह और मुख्य द्वार को जिला प्रशासन की मौजूदगी में बंद किया गया. पूरब द्वार को भी सीलबंद किया गया. कपाट बंद होने के मौके पर मंदिर को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया था. हजारों तीर्थयात्री कपाट बंद होने के गवाह बने. इस दौरान सेनाकी भक्तिमय धुनों के साथ जय श्री केदार और ऊं नमः शिवाय के उद्घोष से केदारनाथ धाम गूंज उठा. कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ की पंचमुखी डोली तीर्थयात्रियों और सेना के बैंड-बाजों के साथ पैदल प्रथम पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान हुई.

बाबा केदार के रात्रि विश्राम का पहला पड़ाव रामपुर है, जहां से डोली गुरुवार को फाटा से होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी. जिसके बाद डोली शुक्रवार को गुप्तकाशी से प्रस्थान कर सुबह करीब 11 बजे श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी.

करीब 20 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के मौके पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजय अजेंद्र ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा और राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में इस वर्ष श्री केदारनाथ यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हो रहा है. उन्होंने यात्रा से जुड़े सभी संस्थानों को बधाई दी. अजय अजेंद्र ने कहा कि सामूहिक सहयोग व बेहतर समन्वय से यात्रा का सफलतापूर्वक समापन हुआ. फलस्वरूप रिकॉर्ड करीब 20 लाख तीर्थयात्रियों ने इस वर्ष भगवान केदारनाथ के दर्शन किए हैं.

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