कौशांबी24 मिनट पहले
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कौशांबी का मोहिनूद्दीनपुर ट्रिपल मर्डर की घटना से अफसरों ने कोई सबक नहीं लिया है। ताज़ा मामला मोहिनूद्दीनपुर से सटे बसेड़ी गाव से जुड़ा सामने आया है। जिसमें एक दलित परिवार दबंग से अपनी 4 बिस्वा जमीन छुड़ाने के लिए अफसरों की चौखट के चक्कर लगाकर थक चुका है। वह अब सामूहिक आत्महत्या की बात कह रहा है।
खतरनाक मंसूबे लिए परिवार के मुखिया के मुताबिक, वह सालों से अपनी जमीन के लिए अधिकारियों के पास जाता है, लेकिन वह उसे दुत्कार कर भगा देते हैं। पुलिस न्याय देने के बजाय आरोपी का पक्ष लेकर उसे प्रताड़ित करती हैं।
संदीपन घाट थाना क्षेत्र के बसेड़ी गाव के रहने वाले धर्मपाल, सुंदर, मसूरिया व घोघर ने अपने पिता गज्जू की मौत के बाद 5 बिस्वा जमीन बटवारे में पाई। चारों भाई गांव में रहकर खेती किसानी व मजदूरी कर अपना गुजर बसर करते हैं। धर्मपाल के मुताबिक, उसके चार भाइयों की जमीन मे 4 बिस्वा जमीन को गाव के नर्मदा सिंह ने अपने भाइयों संग मिलकर कब्जा कर लिया। वह जमीन के लिए पिछले 10 साल से अफसरों के चक्कर लगा रहा है। लेकिन सरकार का कोई भी अधिकारी उसकी बात सुनने को तैयार नहीं है।
जब अफसर के पास जाओ तो वह शिकायत देखते ही डांटने फटकारने लगते हैं। उल्टे उसे ही धमका कर दफ्तर से भाग जाने को कहते है। इसी हालत में उसे समझ नहीं आ रहा कि वह कहा और जिसके पास जा कर इंसाफ की गुहार लगाए। इसलिए वह अब अपने पूरी परिवार के साथ सामूहिक आत्मदाह करने का फैसला कर चुका है। जिसे वह जमीन न मिलने की हालत मे अंजाम देकर रहेगा।

पीड़ित परिवार का मकान।
2 कमरे रहते है परिवार के 20 सदस्य
चायल तहसील के बसेड़ी गांव में रहने वाला धर्मपाल का परिवार काफी बड़ा है। उसके पिता की मौत के बाद हाथ आई परिवार की भूमिधारी जमीन के बड़े हिस्से (4 बिस्वा) को गाव के दबंग नर्मदा एवं अन्य ने कब्जा कर उस पर पुलिस से मिली भगत कर घर बनवा लिया। पीड़ित परिवार पास बची एक बिस्वा जमीन में 4 भाइयों के बीच उनकी पत्नी बच्चों समेत 20 सदस्य रहते, खाते और सोते हैं। धर्मपाल सुंदर मसूरिया एवं घोघर के अपने अपने बच्चे हैं। जिनकी शादी विवाद होने के बाद उनका अपना परिवार है। जिसमें अकेले धर्मपाल के 4 बेटे इंद्र मोहन, कमलेश, तुलसी, मोनी व संदीप हैं। इसके अलावा सुंदर लाल के 3 लड़के व एक लड़की है।
मसूरियादीन व घोघर के 7 लड़का लड़की है। जो विवाह के योग्य हो चुके हैं। ऐसे में 2 कमरे की छत व झोपड़ी के सहारे उनकी जिंदगी कट रही है। नतीजतन पीड़ित परिवार को बच्चों के गुजर बसर के लिए अपनी जमीन की सख्त जरूरत है। लेकिन दबंग नर्मदा सिंह एवं अन्य उसकी जमीन से कब्जा छोड़ने को तैयार नहीं है। आरोप है कि वह जमीन के बदले खून खराबे को आमादा हो जाता है। कई बाद पीड़ित को पुलिस से साठ-गांठ कर उसे फर्जी मामले मे फास कर उत्पीड़न करा चुका है।
संतरी से लेकर मंत्री तक लगा चुका गुहार
धर्मपाल ने बताया, 4 भाइयों को मिलकर 20 लोगों का परिवार है। साहब 2 कमरे में मकान व झोपड़ी मे रहकर गुजर बसर करना हमारी नियति बनता जा रहा है। 4 बिस्वा 5 धूर जमीन को गाव के दबंग लोगों ने जबरजस्ती कब्जा कर लिया। जमीन छुड़ाने के लिए वह अफसर मंत्री व सीएम योगी व पीएम मोदी तक दरखास्त दे चुका, लेकिन उसकी कोई नहीं सुन रहा।
साल 2005 मे दबंग नर्मदा सिंह ने उसे पुलिस से मिली भगत कर थाना (तत्कालीन थाना, अब थाना संदीपन घाट) में जबरन बंद करा कर उसकी जमीन पर घर बनवा लिया। अब अफसरों के चौखट पर चक्कर लगा कर थक गया है। मंगलवार को वह चायल तहसील के एसडीएम के दफ्तर गया था। जहां उससे अफसर ने कहा कही भी चले जाओ जमीन नहीं मिलेगी। जितनी जमीन खाली होगी उतनी कहो तो दिला दें। नहीं जाओ इसी तरह चक्कर लगाते रहो।
दबंग की गोली से मौत से भली सामूहिक आत्महत्या
धर्मपाल का परिवार अपनी जमीन अफसरोंं से दिलाने की गुहार लगा कर थक चुका है। खुद धर्मपाल ने अपने परिवार से सामने अब यह फैसला किया है कि वह अपनी जमीन के वापस न मिलने की हालत मे दबंग की गोली का शिकार मोहिनूद्दीनपुर गांव के तिहरे हत्याकांड की तरह नहीं होगा। धर्मपाल के मुताबिक, वह अपने परिवार व भाइयों के साथ दबंग के हाथों मरने से अच्छा सामूहिक आत्मदाह कर जान दे देगा।
दैनिक भास्कर टीम ने पीड़ित परिवार के आरोप के बाबत आरोपी नर्मदा सिंह व अन्य के घर पहुंचा। जहां उनके घर की महिलाएं ही बात करने को आगे आईं। हमें बताया गया कि घर में कोई पुरुष मौजूद नहीं है। उसके परिवार की एक महिला ने फोन पर किसी व्यक्ति को परिवार का सदस्य बता कर बात कराई। जिस पर दूसरी तरफ वाले व्यक्ति ने हमें जमीन कब्जे के बाबत जमीन को अपनी बताया। उसने कहा कि उन्होंने जमीन को गांव के व्यक्ति से रुपए देकर खरीदा है। इसके अलावा उन्हें कोई बात नहीं करनी है।
एसडीएम चायल दीपेन्द्र यादव ने बताया कि पीड़ित धर्मपाल उनके सामने आया था। जमीन के कब्जे का विवाद साल 2005 का है। प्रकरण मे जांच के लिए लेखपाल एवं कानूनगो से राजस्व अभिलेख तलब किए गए हैं। गांव चकबंदी में लगा हुआ है, ऐसे हालत में प्रकरण की जांच के बाद ही किसी तरह की बात कही जा सकती है। पीड़ित परिवार के आरोप की जांच अभिलेख के आधार पर इंसाफ दिलाया जाना सुनिश्चित किया जाएगा।