नई दिल्लीः करीब 12 साल बाद भारतीय क्रिकेट टीम एक बार फिर विश्व कप जीतने वाली है. विश्व कप जीतने से टीम इंडिया महज एक कदम दूर है. 19 नवंबर को होने वाले विश्व कप 2023 के फाइनल मैच जीतकर भारत तीसरी बार वर्ल्ड कप जीत सकता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी भारतीय क्रिकेट टीम की सदस्यता पर बड़ा खतरा मंडराया था, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने एक फैसला लेकर टाल दिया था. मौजूदा समय में भारतीय क्रिकेट बोर्ड किसी भी चीज का मोहताज नहीं है. आईसीसी में बीसीसीआई का एक तरफा राज माना जाता है. लेकिन एक वक्त था, जब इसकी सदस्यता छीनने वाली थी.
1947 में स्वतंत्रता के बाद, भारतीय क्रिकेट मंदी में था क्योंकि उसे वैश्विक क्रिकेट शासी निकाय की सदस्यता खोने का खतरा था. देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिए गए एक राजनीतिक निर्णय ने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय क्रिकेट इंपीरियल क्रिकेट सम्मेलन का हिस्सा बना रहे, जिसे अब अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के रूप में जाना जाता है. बता दें कि भारत को ब्रिटिश राष्ट्रमंडल में बनाए रखने के नेहरू के फैसले की उनकी पार्टी के सदस्यों ने काफी आलोचना की थी.
हालांकि इसके अपने राजनीतिक प्रभाव थे, यह निर्णय भारतीय क्रिकेट के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि भारत वैश्विक क्रिकेट निकाय का हिस्सा बना रहे, जो उस समय ब्रिटिश राजशाही के संरक्षण में था. जवाहरलाल नेहरू का खेल के प्रति प्रेम भारत के प्रधान मंत्री बनने के बाद भी जारी रहा. ब्रिटिश राष्ट्रमंडल 54 सदस्य देशों का एक स्वैच्छिक संघ है, जिनमें से अधिकांश ब्रिटिश साम्राज्य के पूर्व क्षेत्र थे.
राष्ट्रमंडल का प्रमुख ब्रिटिश सम्राट होता है. हालांकि राष्ट्रमंडल के कई सदस्य ब्रिटिश साम्राज्य के साथ ऐतिहासिक संबंध साझा करते हैं, लेकिन उन्हें ब्रिटिश क्राउन के साथ संवैधानिक संबंध रखने की आवश्यकता नहीं है. कांग्रेस भारत के राष्ट्रमंडल का हिस्सा होने के विचार के विरोध में थी और उसका मानना था कि स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद ब्रिटिश क्राउन के साथ कोई भी राजनीतिक या संवैधानिक संबंध बनाए नहीं रखा जाना चाहिए.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक अपनी पुस्तक ‘नाइन वेव्स: द एक्स्ट्राऑर्डिनरी स्टोरी ऑफ इंडियन क्रिकेट’ में ब्रिटिश-भारतीय पत्रकार मिहिर बोस लिखते हैं कि चर्चिल ने सुझाव दिया कि भले ही भारत एक गणतंत्र बन जाए, लेकिन देश राष्ट्रमंडल के भीतर एक गणतंत्र बना रह सकता है और फिर भी राजा को स्वीकार कर सकता है.
राजा को यह विचार पसंद आया और उन्होंने तथा चर्चिल दोनों ने उन्हें भारत का राष्ट्रपति बनाने के बारे में सोचा. जबकि नेहरू को ऐसे विचार “बचकाने” लगे, वे भारत को राष्ट्रमंडल में रखने पर सहमत हुए, भले ही सरदार वल्लभभाई पटेल सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेता इसके खिलाफ थे।लेकिन इस फैसले ने भारतीय क्रिकेट को कैसे बचाया?
मिहिर बोस ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि जब 19 जुलाई, 1948 को लॉर्ड्स में इंपीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस (आईसीसी) की बैठक हुई, तो यह निर्णय लिया गया कि भारत आईसीसी का सदस्य बना रहेगा, लेकिन केवल अस्थायी आधार पर. भारत की आईसीसी सदस्यता का मामला फिर दो साल बाद संशोधित किया जाएगा.

आईसीसी के नियम 5 में कहा गया है कि यदि कोई देश ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का सदस्य नहीं है तो उसकी सदस्यता समाप्त हो जाएगी. जब जून 1950 में आईसीसी की अगली बैठक हुई, तो भारत ने अपना संविधान अपनाया था, लेकिन सरकार पर ब्रिटिश राजशाही के किसी भी अधिकार के बिना, राष्ट्रमंडल का सदस्य भी बना रहा. भारत की राष्ट्रमंडल सदस्यता से आश्वस्त होकर आईसीसी ने भारत को स्थायी सदस्य बनाया.
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Tags: Cricket world cup, Jawahar Lal Nehru
FIRST PUBLISHED : November 17, 2023, 13:04 IST